पिछले लगभग पौने दो वर्ष से इस ब्लॉग पर कोई लेख नहीं डाल पाया हूँ - क्षमाप्रार्थी हूँ।
बहुत समय से प्रार्थना कर रहा था कि परमेश्वर ऐसी सामर्थ और योग्यता दे कि इस कमी को दूर करके परमेश्वर की महिमा के लिए कुछ नियमित लेख इस ब्लॉग पर डालने पाऊँ। कई बार प्रयास भी किया, कुछ आधा-अधूरा सा लिखा भी, कुछ अन्य मित्रों से सहायता भी लेनी चाही कि उनके द्वारा कहे और लिखे गए लेखों को यहाँ प्रस्तुत कर सकूँ, परन्तु हर प्रयास असफल ही रहा।
आज परमेश्वर के अनुग्रह से यह संभव होने पाया है कि कुछ छोटे लेख यहाँ डाल सकूँ। मेरी प्रार्थना है कि परमेश्वर इस आशीष को बनाए रखे, बढ़ाए और इस ब्लॉग को अपनी महिमा के लिए इस्तेमाल करे। कृपया अपनी प्रार्थनाओं में स्मरण रखिए कि परमेश्वर का यह अनुग्रह बना रहे, और शैतान इस फिर से बाधित ना करने पाए.
आज से एक नई श्रंखला का आरंभ कर रहा हूँ।
इसके अन्तर्गत जो पहला शीर्षक परमेश्वर ने दिया है वह है "परमेश्वर की आराधना और महिमा"। इस शीर्षक पर कुछ लेख प्रस्तुत करने के पश्चात, फिर जो अगला शीर्षक परमेश्वर से मिलेगा, उसे लेकर चलूँगा।
आशा है यह प्रयास आपके आत्मिक जीवन के लिए भी वैसा ही लाभकारी रहेगा, जैसा मेरे लिए हो रहा है।
कृपया अपने विचार एवं प्रतिक्रियाएं अवश्य भेजें, तथा इन लेखों को अपने मित्रों के साथ भी बाँटें। क्योंकि प्रत्येक लेख छोटा ही है, इसलिए आप इसे अपने मोबाइल फोन पर व्हॉट्सएप्प तथा ऐसी ही अन्य एप्प्स के द्वारा भी बाँट सकते हैं।
परमेश्वर की आशीष आपके साथ हो।