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बुधवार, 23 मार्च 2011

संपर्क फरवरी २०११ - जो समझना न चाहे, उसे कौन समझाए

एक साहब थे समाज सुधारक। बेचारे बड़ी मेहनत से समझा रहे थे एक शराबी को कि शराब कितनी बेकार चीज़ है। उन्होंने कहा, "मान लीजिए किसी गधे के सामने दो बाल्टी रखी जाएं। उनमें से एक में पानी हो और दूसरे में शराब, तो गधा कभी शराब नहीं पीएगा। वह पानी ही पीएगा। क्या मेरी यह बात समझ रहे हो?" शराबी बोला, "जी समझ रहा हूँ।" समाज सुधारक ने पूछा, "क्या समझ रहे हो?" शराबी बोला, "जो आप समझा रहे हो वही तो समझ रहा हूँ - कि वो सब गधे हैं जो शराब नहीं पीते।" उस समाज सुधारक ने अपना सिर पकड़ लिया। अगर आप समझना न चाहें तो फिर कौन समझा सकता है।

ज़रा इस बात को समझिये - अब यह नए ताज़े १२ महीनों से भरा साल हमारे सामने है। भंडार घर में यह हम सबके लिये १२ बंडलों में बंधा हुआ रखा है। इन १२ महीनों में ५२ हफते, ८ हज़ार ७ सौ ६० घंटे, ५ लाख २५ हज़ार ६ सौ मिनिट, ३ करोड़ १५ लाख ३६ हज़ार सैकेंड यह सब आपके लिये हैं। मैं और आप इस बहुमूल्य समय के उपहार के योग्य नहीं थे फिर भी हमें दिया गया है। आप इन में से २४ घंटे ही एक बार में ले पाएंगे। यह आप पर निर्भर करता है कि आप इनका सदुपयोग करते हैं या दुरूपयोग। हममें से कोई भी इतना सामर्थी नहीं कि जो इन बीते पलों में से एक को भी वापस ला सके।

आपको मालूम है जितनी देर में आप एक सांस ले रहे हैं उतनी देर में १० आदमी अपनी आखिरी सांस लेकर दुनिया से विदा हो रहे हैं। यह साल आपको उपहार के रूप में दिया गया है। गरीब हो या अमीर, कमज़ोर हों या मज़बूत, हारे हुए हों या जीते हुए, किसी भी धर्म के हों और किसी भी जाति के हों, प्रभु किसी से भी कोई भेद नहीं रखता। जो समय एक बार चला गया तो वह हमेशा के लिये चला गया। अब तो बस आगे देखने का वक्त है।

चलिये मैं और आप इस नए साल को एक नयी ताज़गी के साथ शुरू करें। हर एक गलती को सही करने का अवसर आ गया है।
सज़ा को क्षमा में बदलने का,
नफरत को प्यार में बदलने का,
श्राप को आशीश में बदलने का,
मौका आ गया है।

जी हां मौका है माफी देने का और माफी पाने का। अगर चुके तो बहुत कुछ चूक जाएगा। अन्दर झांक कर देखो तो सही कितनों से कितनी नफरत से भरे हैं, कड़वाहट से भरे हैं। पुरानी कड़वाहट को हमेशा के लिये यहीं दफन कर दें।

"जा पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर ले" (मत्ती ५:२४)। हिम्मत है या कायरों की तरह परमेश्वर की आवाज़ को टालकर इस नए साल की आशीशों को फिर से रौंदेंगे? क्या आप समझ रहे हैं, या समझना ही नहीं चाहते? अगर ज़िद पर अड़े खड़े रहे तो फिर कोई कुछ नहीं कर पाएगा।

कहीं हममें से कुछ लोग हमेशा के लिये विदा न हो जाएं। जब तू परमेश्वर की आवाज़ सुने तो अपने दिल को सख्त न करना (इब्रानियों ३:१५)।

हम परमेश्वर के प्यार को इस कागज़ के टुकड़े पर आपके लिये सजाकर लाए हैं। अब यह आप पर है कि आप इसे ठुकराएं या अपनाएं।

जब मैंने परमेश्वर की आवाज़ को सुना तो देर न की। (भजन ११९:६०)।

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