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मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

यीशु के मार/कोड़े खाने तथा यीशु के लहू द्वारा शारीरिक चंगाई





प्रश्न: क्या प्रभु यीशु मसीह के मार/कोड़े खाने से, और लहू से हम शारीरिक रोगों से चंगाई प्राप्त करते हैं?

उत्तर:
पवित्र शास्त्र की व्याख्या करते समय जो गलती सर्वाधिक तथा सामान्यतः की जाती है वह है बाइबल के किसी पद या खण्ड को, या पद के अंश को उसके संदर्भ के बाहर लेना; फिर उसे अपनी इच्छा या समझानुसार अर्थ प्रदान करना; और फिर उन गलत अर्थों को न केवल “परमेश्वर के सत्य’ समझकर मान लेना वरन उन्हें औरों को भी यही कहकर सिखाना; चाहे वे अर्थ संदर्भ की आवश्यकता तथा बाइबल में उस बात या शब्दों के प्रयोग के अनुसार सही न भी हों, जिससे कि फिर वे अवास्तविक एवं अस्वीकार्य हो जाते हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल, 2 तिमुथियुस 2:15 में हमें सिखाता है किअपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य (न कि मनुष्यों को) और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो; तथा ऐसे शिक्षकों के पीछे हो लेने के फंदे में पड़ने वाला न हो जो सही शिक्षा देने के स्थान पर लोगों को केवल वही सुनाते-सिखाते हैं जो कि वे लोग सुनना-सीखना चाहते हैं (2 तिमुथियुस 4:2-4)। शैतान द्वारा परमेश्वर के वचन के दुरूपयोग के षड़यंत्र में फंसने से बचने के लिए (वह तो इतना धूर्त है कि उसने प्रभु यीशु को भी इस फंदे में फंसाने का प्रयास कियामत्ती 4:1-11), हम सभी को 1 थिस्सलुनीकियों 5:21 “सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो का ध्यान रखना और उसका पालन करना चाहिए; तथा बेरिया के मसीही विश्वासियों के समान होना चाहिए जिनकी बाइबल में इसलिए प्रशंसा हुई है क्योंकि वे पहले सभी शिक्षाओं को पवित्र शास्त्र से जांचते थे और तब ही उन पर विश्वास करते थे (प्रेरितों 17:11-12) – चाहे उन्हें सिखाने वाला पौलुस प्रेरित ही क्यों न रहा हो।

प्रभु यीशु के मार/कोड़े खाने के द्वारा चंगाई के संदर्भ में, बाइबल के जिस पद का अकसर प्रयोग किया जाता है वह है यशायाह 53:5 “परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।पतरस ने इसी पद में से अपनी पहली पत्री में उद्धृत किया – “वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिये हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए” (1 पतरस 2:24)। यह काफी रोचक ‘संयोग’ है कि, इन दो पदों के अतिरिक्त (वास्तव में, केवल एक ही पद), संपूर्ण बाइबल में और कोई पद है ही नहीं जिसमें “मार/कोड़े” तथा “चंगाई” शब्द एक साथ आए हों। साथ ही, हम इन दोनों ही पदों में यह भी देखते हैं कि जिस ‘चंगाई’ की बात हो रही है वह पाप के दुष्प्रभाव से आत्मिक चंगाई है; न कि किसी रोग, बीमारी, विकार, या अन्य किसी शारीरिक व्याधि से देह की चंगाई।

सामान्य उपयोग में, क्योंकि शब्द ‘चंगाई’ का प्रयोग मुख्यतः शारीरिक अस्वस्थताओं, तथा शरीर के रोगों के लिए होता है, इसलिए इस पर कुछ विशेष ध्यान दिए बिना, लोग बस यही मान लेते हैं कि इन पदों में भी जिस ‘चंगाई’ की बात हो रही है वह भी शारीरिक चंगाई ही है। दुर्भाग्यवश, बहुतेरे प्रचारक और शिक्षक भी यही चाहते हैं कि हम इसी गलती को मानें; इसलिए पवित्र शास्त्र के पदों को संदर्भ और वास्तविक लेख से बाहर लेकर और फिर उन पर आधारित व्याख्या करने के द्वारा वे इस गलत अर्थ और व्याख्या पर बल देते रहते हैं और उसे ही सिखाते रहते हैं। न तो वे स्वयँ व्याख्या करते समय पद के संदर्भ या खण्ड से संबंधित बातों पर ध्यान देते हैं, और न ही हमें प्रोत्साहित करते हैं कि हम किसी बात को स्वीकार करने या किसी निष्कर्ष पर आने से पहले, पूर्ण पद का अध्ययन उसके सही संदर्भ तथा संबंधित बातों में होकर करें।

एक अन्य बहुत महत्वपूर्ण और संबंधित तथ्य जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए यह है कि संपूर्ण बाइबल में कहीं पर भी, वाक्याँशउसके मार/कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएंतथा  उसी के मार/कोड़े खाने से तुम चंगे हुएका कभी भी कहीं भी किसी करिश्माई शारीरिक चंगाई के लिए प्रयोग नहीं हुआ है; किसी भी भविष्यद्वक्ता, या प्रेरित, या परमेश्वर के जन के द्वारा कभी कहीं भी नहीं जबकि पुराने नियम में और नए नियम में करिश्माई शारीरिक चंगाइयों की घटनाओं की कोई कमी कतई नहीं है। हम नए नियम से शारीरिक चंगाई के कुछ उदाहरणों को देखते हैं:
·         पौलुस, तिमुथियुस को निर्देश देता है, “भविष्य में केवल जल ही का पीने वाला न रह, पर अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा थोड़ा दाखरस भी काम में लाया कर” (1 तिमुथियुस 5:23)। प्रगट है कि तिमुथियुस को बारंबार होने वाले किसी शारीरिक रोग के कारण परेशानी होती रहती थी, और पौलुस उससे थोड़ा थोड़ा दाखरसऔषधि के समान लेने के लिए कह रहा है क्यों यहाँ पर पौलुस ने तिमुथियुस से प्रभु यीशु के मार/कोड़े खाने के आधार पर चंगाई की माँग/दावा करने के लिए नहीं कहा?
·         स्वयँ पौलुस के शरीर में एक कांटा चुभाया गया के बारे में देखें पौलुस कहता हैऔर इसलिये कि मैं प्रकाशनों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं। इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए” (2 कुरिन्थियों 12: 7, 8)। पौलुस को इस समस्या के निवारण के लिए प्रभु से विनती क्यों करनी पड़ी; ऐसा करने के स्थान पर उसने प्रभु के मार/कोड़े खाने के आधार पर उपलब्ध चंगाई को क्यों नहीं माँग लिया? और जबकि प्रभु द्वारा विश्वास की प्रार्थना के प्रत्युत्तर में चंगाई देने के लिए पौलुस या तिमुथियुस के “विश्वास” पर तो संदेह किया ही नहीं जा सकता है!
·         हम प्रेरितों के काम में देखते हैं कि जब पतरस ने, प्रेरितों 3 में, मंदिर के प्रवेश द्वार पर बैठे जन्म के लंगड़े को चँगा किया, तो उसने लंगड़े मनुष्य से यह नहीं कहाप्रभु यीशु के मार/कोड़े खाने तुझे चँगा किया जाता है;” वरन, “तब पतरस ने कहा, चान्दी और सोना तो मेरे पास है नहीं; परन्तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर” (प्रेरितों 3:6).

क्या बाइबल में कहीं पर भी, कोई भी, एक भी ऐसा उदाहरण है जहाँ वाक्याँश “प्रभु के मार/कोड़े खाने के द्वारा तुझे चँगा किया जाता है” का शारीरिक चंगाई प्राप्त होने के लिए उल्लेख आया है? यदि नहीं, तो फिर, इस वाक्याँश का इतनी बहुतायत से प्रचार और शिक्षा में इतना प्रयोग और व्याख्या, तथा लोगों द्वारा इसे इतना सहज स्वीकार तथा ग्रहण किया जाना क्यों है? और भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि, लोग इतने भोले और आसानी से धोखा खाने वाले क्यों बने रहते हैं; और उन भरमाने तथा बहकाने वालों से इसके लिए परमेश्वर के वचन में से स्पष्टिकरण क्यों नहीं मांगते हैं?

सीधा और सपष्ट तथ्य यह है कि ये पद मसीह द्वारा हमारे लिए सहे गए दुखों के लिए तो है, परन्तु हमारे पापों के दुखों के लिए है, जिन्हें उसने अपने ऊपर ले लिया था। क्योंकि उसने हमारे दण्ड को अपने ऊपर ले लिया, हमारे स्थान पर उसने कोड़े खाए, हमें हमारे पापों के दण्ड से छुटकारा मिला है, और पाप के द्वारा कुचली गई हमारी आत्मा को चंगाई प्राप्त हुई है (यशायाह 61:1; लूका 4:18)। वाक्याँशउसके मार/कोड़े खाने से हम चंगे हुए...” रोग या बीमारियों से मिली किसी शारीरिक चंगाई के लिए नहीं प्रयोग हुआ है, वरन हमारे पापों के दुष्प्रभावों से हमें मिलने वाली चंगाई के लिए प्रयोग किया गया है।

इसी प्रकार से, बाइबल में यह कहीं नहीं आया है कि यीशु का लहू हमें शारीरिक रोगों और बीमारियों से चंगा करता है। प्रभु यीशु के लहू को अन्य कई बातों के लिए प्रभावी बताया गया है वे सभी आत्मिक हैं और प्रभु परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों के बारे में हैं, जैसे कि हमारा प्रायश्चित (रोमियों 3:25); हमारा धर्मी ठहरना (रोमियों 5:9); हमें परमेश्वर के निकट लाने, अर्थात उससे मेल करवाने (इफिसियों 2:13); हमारे विवेक को मरे हुए कामों से शुद्ध करने (इब्रानियों 9:14); हमें पवित्र स्थान में प्रवेश प्रदान करने के हियाव देने के लिए (इब्रानियों 10:19); हमारे छुटकारे (1 पतरस 1:18-19); पापों से शुद्ध करने (1 यूहन्ना 1:7); पापों से छुड़ाए जाने (प्रकाशितवाक्य 1:5) के लिए। परन्तु कहीं पर भी प्रभु यीशु के लहू के द्वारा किसी भी शारीरिक चंगाई होने या किए जाने का कोई उल्लेख नहीं है, और न ही कभी किसी प्रेरित या नए नियम के किसी भी लेखक ने शारीरिक चंगाई के लिए न तो “प्रभु यीशु के लहू” को प्रयोग किया है और न ही ऐसा करने की कोई शिक्षा दी है।

इसलिए लोगों को यह सिखाना कि हम बाइबल के किसी पद या अंश को, किसी ऐसे स्वरूप या उपयोग के लिए मांगे या उसका दावा करें, जो कि परमेश्वर के वचन में उसके प्रयोग या उसके संदर्भ के अनुसार नहीं है, और परमेश्वर का वचन जिसके विषय न तो कुछ सिखाता है और न ही करने के लिए कहता है, तो उसे परमेश्वर के वचन के अनुसार सही शिक्षा कैसे माना और स्वीकार किया जा सकता है? ऐसी सभी शिक्षाएँ और प्रयोग परमेश्वर के वचन से बाहर के हैं; वे सभी 2 तिमुथियुस 2:15 के निर्देश के अनुसार नहीं हैं, इसलिए गलत और अस्वीकार्य होने के आधार पर उनका तिरिस्कार किया जाना चाहिए।


बुधवार, 24 जुलाई 2019

प्रभु यीशु के कोड़े खाने और लहू द्वारा चंगाई



प्रश्न: बाइबल के वाक्याँश “...उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं” का क्या अभिप्राय है? क्या हम प्रभु यीशु मसीह के लहू के द्वारा दोनों, आत्मिक तथा शारीरिक, चंगाई पाते हैं?

        पवित्र-शास्त्र की व्याख्या और स्पष्टिकरण करते समय सबसे आम गलती होती है किसी भी खण्ड या पद को, या पद के भाग (जैसे कि यह वाक्याँश) को उसके संदर्भ के बाहर लेना, फिर उसे अपनी इच्छा और उद्देश्य के अनुसार अर्थ एवँ स्पष्टिकरण देना, और इसके बाद उन व्याख्याओं को “तथ्य” या “सत्य” कहकर न केवल स्वीकार कर लेना, वरन दूसरों को भी बताना और सिखाना; चाहे वे अर्थ और व्याख्याएं संदर्भ तथा अन्य संबंधित बातों के अनुसार सही न होने के कारण अवास्तविक, असत्य एवँ अस्वीकार्य ही क्यों न हों। परमेश्वर का वचन, बाइबल हमें बल देकर समझाती है कि अपने आप को परमेश्वर को (किसी मनुष्य को नहीं) ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो” (2 तिमुथियुस 2:15); और उन उपदेशकों के फंदे में न पड़ें जो सही बाइबल के अनुसार सही सिद्धान्त एवँ शिक्षा की बजाए लोगों को पसन्द आने वाली बातें बताने तथा सिखाने में रुचि रखते हैं (2 तिमुथियुस 4:2-4)। परमेश्वर के वचन के दुरुपयोग के शैतान के छलावों में फंसने से बचने के लिए (शैतान तो इतना धूर्त है कि उसने प्रभु यीशु मसीह को भी इस दुरुपयोग के छलावे में फंसाने का प्रयास किया था मत्ती 4:1-11), हम सभी को 1 थिस्सलुनीकियों 5:21 “सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो का पालन करना चाहिए, तथा बेरिया के मसीही विश्वासियों के समान बनना चाहिए, जिनकी बाइबल में इसलिए प्रशंसा हुई है क्योंकि बताई तथा सिखाई गई बातों पर विश्वास करने से पहले उन्होंने पहले स्वयँ उन बातों की सत्यता को पवित्र-शास्त्र से जाँचा और तब ही विश्वास किया (प्रेरितों 17:11-12) – यद्यपि उन्हें बताने और सिखाने वाला पौलुस था।

        बाइबल के जिस पद से यह वाक्याँश लिया गया है वह है यशायाह 53:5 “परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।पतरस ने भी अपनी पहली पत्री में इस पद का प्रयोग किया – “वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिये हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए” (1 पतरस 2:24)। रोचक है कि, इन दो पदों के अतिरिक्त, बाइबल में कोई अन्य पद है ही नहीं जहाँ ये दोनों शब्द “कोड़े/मार” और चंगे/चंगाई एक साथ आए हों। साथ ही हम यह भी देखते हैं कि इन दोनों ही पदों में जिस चंगाई की बात हो रही है वह हमारी आत्मा पर आए पाप के दुष्प्रभावों से चंगाई है; न कि किसी बीमारी, अस्वस्थता, शारीरिक विकार, या अन्य किसी भी शारीरिक रोग से प्राप्त हुई किसी शारीरिक चंगाई की।

        क्योंकि सामान्य प्रयोग में, शब्द “चंगे/चंगाई” अधिकांशतः शारीरिक समस्याओं से स्वस्थ होने के लिए उपयोग किए जाते हैं, इसलिए इस पर ध्यान दिए बिना ही, यह मान लिया गया जाता है कि यहाँ भी “चंगे” होने का अभिप्राय शारीरिक चंगाई से ही है। दुर्भाग्यवश, वे उपदेशक और शिक्षक जो यही चाहते हैं कि हम इसी अर्थ को स्वीकार करें, हमें यही गलत व्याख्या सिखाते और उस पर बल देते रहते हैं, और इसी अर्थ को बनाए रखने के लिए वे बाइबल के पद को उसके संदर्भ तथा लेख की निरंतरता से बाहर निकाल कर ही दिखाते हैं, उसके संदर्भ में नहीं। बाइबल के पदों या भागों की व्याख्या करके उसका उचित निष्कर्ष निकालने तथा उसे स्वीकार योग्य बनाने के लिए, न तो वे स्वयँ संदर्भ एवँ संबंधित बातों पर ध्यान देते हैं, और न ही अपने सुनने वालों को ऐसा करने देते हैं, और न ही कभी यह सिखाते हैं कि ऐसा किया जाए।

        एक और अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य जिस पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है वह यह है कि संपूर्ण बाइबल में कहीं पर भी, दोनों ही वाक्यांशों उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएंऔर उसी के मार खाने से तुम चंगे हुएमें से किसी का भी न तो कभी प्रयोग और न ही कभी संकेतात्मक उपयोग, किसी भी भविष्यद्वक्ता, प्रेरित, या परमेश्वर के जन द्वारा, किसी भी चमत्कारिक चंगाई के किए जाने के साथ हुआ है और पुराने तथा नए नियम में चम्ताकारिक शारीरिक चंगाइयों के कार्यों की कोई कमी नहीं है। नए नियम से शारीरिक चंगाई से संबंधित कुछ उदाहरणों को देखिए: पौलुस ने तिमुथियुस को निर्देश दिया, “भविष्य में केवल जल ही का पीने वाला न रह, पर अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा थोड़ा दाखरस भी काम में लाया कर” (1 तिमुथियुस 5:23)। स्पष्ट है कि, तिमुथियुस किसी बार बार होने वाली शारीरिक व्याधि से परेशान था, और पौलुस उसे इसके लिए थोड़ा दाखरसऔषधि के रूप में लेने की सलाह दे रहा है क्यों उसने यह सलाह नहीं दी कि तिमुथियुस प्रभु यीशु के कोड़े/मार खाने का प्रयोग अपनी चंगाई के लिए करे, और उसके आधार पर प्रभु से अपनी चंगाई को प्राप्त करने का दावा करे? स्वयं पौलुस के ही शरीर में चुभाए गए कांटे पर विचार करें पौलुस कहता है और इसलिये कि मैं प्रकाशनों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं। इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए” (2 कुरिन्थियों 12: 7, 8)। पौलुस को अपने शरीर की इस व्यथा के लिए प्रभु के सामने क्यों विनती करनी पड़ी? इसके स्थान पर, उसने प्रभु के कोड़े/मार खाने से मिलने वाली चंगाई को प्राप्त करने का दावा क्यों नहीं कर लिया? और पौलुस तथा तिमुथियुस में, प्रभु से चंगाई प्राप्त करने के लिए “विश्वास” होने के विषय कोई संदेह नहीं किया जा सकता है! हम प्रेरितों के कार्य पुस्तक में भी देखते हैं कि जब, प्रेरितों 3 अध्याय में, पतरस ने मंदिर के प्रवेश-स्थान पर बैठे जन्म के लंगड़े को चँगा किया, तो उसने उस लंगड़े व्यक्ति से यह नहीं कहा कि प्रभु यीशु के कोड़े/मार खाने से तुझे चंगाई दी जाती है और तू पूर्णतः स्वस्थ किया जाता है;” वरन, तब पतरस ने कहा, चान्दी और सोना तो मेरे पास है नहीं; परन्तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर” (प्रेरितों 3:6)। क्या बाइबल में कहीं पर भी ऐसा कोई भी उदाहरण है जब वाक्याँश “प्रभु के कोड़े/मार खाने से तुम/हम चंगे किए जाते हैं” कहने के द्वारा किसी को भी चँगा किया गया है? यदि नहीं है तो, फिर यह तात्पर्य और व्याख्या क्यों इतने उत्साह के साथ प्रचार की जाती है, सिखाई जाती है और स्वीकार की जाती है? इससे भी महत्वपूर्ण बात, क्यों लोग इतने भोले और मूर्ख बनकर इसे स्वीकार कर रहे हैं, बजाए इसके कि इस असत्य को बताने, सिखाने तथा फैलाने वालों से उनके प्रचार के आधार का बाइबल से स्पष्टिकरण एवँ उदाहरण माँगें, उनके असत्य को प्रगट करें, और झूठी शिक्षाओं को बन्द करवाएँ?

        बात सीधी सी और स्पष्ट है कि इन पदों में प्रभु यीशु द्वारा हमारे स्थान पर सही गई क्रूस की यातना की पीड़ा का उल्लेख है, जो उसने संसार के पापों के लिए सही, उन पापों के लिए जिसे उसने अपने ऊपर ले लिया था (1 पतरस 2:24; 1 यूहन्ना 2:2; 1 यूहन्ना 3:5)। हमारे पापों के दण्ड को अपने ऊपर ले लेने के द्वारा, उसे वह कोड़े/मार, तथा क्रूस की यातना सहन करनी पड़ी, और प्रभु के द्वारा वह सब सहने से हमें पापों से छुटकारा मिला, तथा पाप के द्वारा टूटे हुए हमारे मनों को जिस चंगाई की आवश्यकता थी वह मिली, जिसकी भविष्यवाणी यशायाह ने की थी और उसकी पूर्ति का दावा प्रभु यीशु ने किया था (यशायाह 61:1; लूका 4:18)। वाक्याँश उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएंबीमारियों और व्याधियों से शारीरिक चंगाई मिलने के विषय या संदर्भ में नहीं है, वरन पाप के दुष्प्रभावों से हमारे मनों को मिलने वाली चंगाई के विषय में है।

        इसी प्रकार से, बाइबल में कहीं पर भी यह नहीं लिखा गया है कि प्रभु यीशु का लहू हमें शारीरिक बीमारियों और व्याधियों से चंगा करता है। प्रभु यीशु का लहू अन्य अनेकों बातों के लिए कारगर है, उनके लिए एकमात्र उपाय है और वे सभी बातें आत्मिक हैं, प्रभु परमेश्वर के साथ हमारे संबंध से जुड़ी हुई हैं, उदाहरण के लिए हमारे पापों का प्रायश्चित (रोमियों 3:25); हमारा धर्मी ठहराया जाना (रोमियों 5:9); हमें परमेश्वर के निकट लाना, अर्थात परमेश्वर से हमारा मेल-मिलाप करवाना (इफिसियों 2:13); हमारे विवेक को मरे हुए कार्यों से शुद्ध करना (इब्रानियों 9:14) तथा हमें पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव देना (इब्रानियों 10:19); हमारा छुटकारा (1 पतरस 1:19); हमें पापों से शुद्ध करना (1 यूहन्ना 1:7); हमारा पापों से छुड़ाया जाना (प्रकाशितवाक्य 1:5)। लेकिन कहीं पर भी प्रभु यीशु के लहू के द्वारा शारीरिक चंगाई मिलने का कोई उल्लेख या उदाहरण नहीं है, और न ही कभी भी कहीं प्रेरितों या नए नियमों के पात्रों ने, किसी भी या कैसी भी शारीरिक चंगाई के लिए “यीशु मसीह के लहू” वाक्याँश का प्रयोग किया अथवा सिखाया है।

        इसलिए लोगों को यह सिखाना कि हम बाइबल के किसी अंश को किसी ऐसे स्वरूप या कार्य के लिए माँगें या उसका दावा करें, जिसके लिए न तो परमेश्वर का वचन बताता है और न ही हमें माँगने/करने के लिए कहता/सिखाता है, निश्चय ही परमेश्वर के वचन के अनुसार बिलकुल भी नहीं है, ऐसा करना वचन से पूर्णतः असंगत है, और 2 तिमुथियुस 2: 15 के विरुद्ध है; इसलिए इन बातों को करना कदापि स्वीकार करने योग्य नहीं है, और इसका पूर्णतः तिरिस्कार किया जाना चाहिए।