एक गैर-मसीही पृष्ठभूमि से मसीही विश्वासी हो जाने के
पश्चात, क्या मसीही विश्वास उस भूत-पूर्व गैर-मसीही धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार
एक अन्य मसीही विश्वासी से विवाह करने की अनुमति देती है?
जैसा आपको भली-भांति पता होगा, गैर-मसीही धर्मों के
रीति-रिवाजों में उन देवी-देवताओं या अलौकिक सामर्थों का आह्वान किया जाता है
जिन्हें उस धर्म में पूजनीय एवँ ईश्वरीय समझा जाता है। विवाह के वचन उन्हीं
देवी-देवताओं तथा अलौकिक सामर्थों के नाम से लिए जाते हैं, इस विश्वास के साथ कि
वे वहाँ उस विवाह के साक्षी बनकर उपस्थित हैं तथा भविष्य में वे ही विवाह की रक्षा
और निश्चितता प्रदान करेंगे। इसका यह तात्पर्य हुआ कि उन रीति-रिवाजों में भाग
लेने के द्वारा आप एक प्रकार से यह मान रहे हो कि प्रभु यीशु मसीह के अतिरिक्त भी
ईश्वरीय शक्तियाँ हैं, और आप उन्हें सम्मानित करने तथा पूजने के लिए तैयार हैं,
अपने जीवन में उनकी सामर्थ्य को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, और भविष्य में भी
अपने जीवन में ऐसे ही किसी भी अन्य अवसर पर उनके योगदान और स्थान को स्वीकार करते
हैं। एक बार आप इस प्रकार के समझौते के लिए सहमत हो जाएँगे तो फिर इस आधार पर आपको
बारंबार ऐसे ही समझौते करने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
यह न केवल आपके अपने आत्मिक जीवन तथा प्रभु यीशु में विश्वास
के लिए हानिकारक होगा, परन्तु अन्य अनेकों मसीही विश्वासियों के लिए भी ठोकर का
कारण हो सकता है, जिससे आपके जीवन में प्रभु की ताड़ना को अवसर होगा (मरकुस 9:42)।
किन्तु एक बार जब आप इस विषय पर एक दृढ़ निर्णय लेकर स्थिर खड़े हो जाएँगे, समझौता
करने से इन्कार कर देंगे, तो प्रभु यीशु के प्रति आपके समर्पण की दृढ़ता तथा उसमें
आपके विश्वास की स्थिरता सब पर प्रगट हो जाएगी, और वे अन्य अवसरों पर भी समझौता
करने के लिए आपको उकसाने में संकोच करेंगे, तथा आप आत्मिक जीवन में और उन्नत तथा
परिपक्व हो जाएँगे।
परन्तु मसीही विश्वास में दृढ़ होने में, औरों के प्रति नम्र
और आदरपूर्ण भी बने रहें। मसीही विश्वास में दृढ़ होने का यह कदापि अर्थ नहीं है कि
आप औरों की मान्यताओं, रीति-रिवाजों, और पूजनीय वस्तुओं के प्रति बुरा या उन्हें
नीचा दिखाने या कटु शब्द कहने वाला व्यवहार रखें – ऐसा करने से बात केवल बिगड़ेगी,
और आपकी कोई सहायता नहीं होगी, और इससे प्रभु यीशु के बारे में सुनने में उनकी
रुचि उत्पन्न होने में बाधा आएगी। प्रभु यीशु के प्रति अपनी दृढ़ता दिखाने और अपने
मसीही विश्वास के साथ समझौता न करने में उनकी मान्यताओं और पूजनीय वस्तुओं के
प्रति हीनता की कोई टिप्पणी न करें।
यद्यपि सर्वोत्तम तो मसीही विश्वास के अनुसार मसीही रीति से
विवाह करना है, किन्तु यदि इस बात की संभावना नहीं रहती है और कोई अन्य मार्ग नहीं
बचता है तो ऐसे में, समझौते का एक संभव मार्ग है “कानूनी विवाह” या “न्यायालय में
विवाह” कर लिया जाए, क्योंकि ऐसे विवाह में कोई धार्मिक अनुष्ठान या रीति-रिवाज़
नहीं होते हैं, इसलिए दोनों ही पक्ष दूसरे के धार्मिक अनुष्ठानों के निर्वाह करने या
उन्हें चुनौती देने से बचे रह सकते हैं। ऐसे विवाह के पश्चात आप विवाह के प्रीति-भोज
या समारोह में चर्च के अगुवों द्वारा नव-विवाहितों को आशीष देने का आयोजन कर सकते
हैं; तथा उस समारोह में किसी प्रचारक या मसीही अगुवे के द्वारा वहाँ उपस्थित सभी
परिवार जनों को सुसमाचार सन्देश देने का यह एक अच्छा अवसर भी हो सकता है। इस
प्रकार से विवाह भी वैध तथा स्वीकार्य रहेगा, किसी के भी परिवार को धार्मिक आधार
पर कोई ठेस नहीं पहुंचेगी, और समारोह में उपस्थित लोगों को उद्धार का सुसमाचार
देने का अवसर भी मिल जाएगा।
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