आराधना के तरीके
हमने यह देखा है कि हर बात और हर परिस्थिति में परमेश्वर का धन्यवाद करना उसकी
आराधना और महिमा करने का एक तरीका है; यह परमेश्वर की सन्तान के रूप में हमारे विकास के लिए केवल प्रार्थना
ही करने की अपेक्षा कहीं अधिक लाभदायक है। हमने क्रिस्टी बाउर के अनुभव और पुस्तक से
देखा कि परमेश्वर के धन्यवादी होने की आदत को बनाने के लिए जान-बूझकर किए गए प्रयासों
ने ना केवल उनकी पुरानी हताशा को चंगा किया वरन परमेश्वर के प्रति उनके रवैये को बदल
डाला और उसके प्रेम को उन्हें एक बिलकुल नए प्रकार से अनुभव करवाया। अब परमेश्वर की
आराधना और महिमा के बारे में और आगे देखें - हर बात के लिए और हर परिस्थिति में परमेश्वर
के धन्यवादी होने के अलावा, हम उसकी आराधना तथा महिमा और कैसे कर सकते हैं?
प्रभु यीशु के पहाड़ी उपदेश में उनके द्वारा अपने चेलों को दी गई आरंभिक शिक्षाओं
में एक है: "उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे
भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें" (मत्ती 5:16)। यह हमें परमेश्वर की आराधना
और महिमा करने का एक और तरीका देता है - हमारे कार्यों के द्वारा। जब हम अपने जीवनों
को परमेश्वर के लिए एक सजीव उदाहरण बनाते हैं, जब हमारे कार्यों, व्यवहार और रवैये के कारण संसार के लोग परमेश्वर की
महिमा करते हैं; हम परमेश्वर की आराधना करते हैं। प्रेरित पतरस के द्वारा परमेश्वर का पवित्र आत्मा
इस आराधना का एक और पक्ष हमारे सामने लाता है: "अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन
भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों
में वे तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देख कर; उन्हीं के कारण कृपा दृष्टि
के दिन परमेश्वर की महिमा करें" (1 पतरस 2:12); अर्थात, संसार के लोगों की प्रतिक्रिया तथा रवैया चाहे जैसा हो,
हमें आदरपूर्ण व्यवहार और भले
कार्यों को कठिन परिस्थितियों के बावजूद बनाए रखना है, जिससे जो वर्तमान में हमारी आलोचना तथा बुराई करते हैं,
अन्ततः परमेश्वर की महिमा करने
वाले हों।
हम परमेश्वर की आराधना और महिमा अपने मसीही विश्वास की ज्योति को छुपाने या दबाने
की बजाए उसे संसार के सामने चमकने देने के द्वारा करते हैं; तथा परमेश्वर को महिमा देने वाले अपने मसीही विश्वास
के कार्यों के प्रगटिकरण के द्वारा भी।