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बुधवार, 6 अप्रैल 2011

संपर्क फरवरी २०११ - सब कुछ सह लेता है

एक अजीब सी कहानी है जो २ हज़ार ४ सौ ५४ भाषाओं में लिखी गई। अरबों ने इसे पढ़ा है। करोड़ों लोग रोज़ इसे पढ़ रहे हैं और यह असंख्य लोगों का जीवन बदल रही है। इस कहानी को समझाने के लिये आपसे एक कहानी कहता हूँ।

ये खूबी है उस खूबसूरत प्यार की

एक ऊँची पथरीली चट्टान पर एक ऊँचे मकान की ऊँची बुर्ज पर एक मेमने की मूरत बनी थी। किसी ने मकान के मालिक से पूछा, "यह यहाँ क्यों लगाई है? कुछ अजीब सी नहीं लगती?" मकान मालिक ने जवाब दिया, "यह अजीब सी मूरत एक अजीब सी बात की याद दिलाती है। देखो यहाँ से इस पथरीली भूमि पर एक मज़दूर गिरा था और ज़िन्दा बच गया; मालूम है कैसे? यहाँ पर एक मेमना खड़ा था, वह आदमी उस पर गिरा; मेमना मर गया परन्तु आदमी बच गया। अगर मेमेना न मरता तो आदमी न बचता। अगर मेमेना यहाँ न होता तो वो आदमी ज़िन्दा न होता।"

अजीब सी बात है, समझ में नहीं आती पर सच्चाई है। मेरी मौत निश्चित थी अगर यीशु मेरे लिये मरा न होता। साथ ही आज ये अद्भुत जीवन मेरे पास न होता, और न ही मेरे पास यह खुशी होती, अगर यीशु ने क्रूस पर वो दुख न सहा होता। यीशु ही वह मेमेना है जो जगत के पाप उठा ले जाता है।

उसके प्यार की कहानी ही क्रूस की कहानी है। मुझे परमेश्वर इस क्रूस की कहानी को समझाने की शक्ति दे और आप को उसे समझने की। आज परमेश्वर अपने प्यार को आप पर प्रकट करे।


आदमी मरता क्यों है?


मैं आपसे एक सवाल पूछता हूँ; आदमी क्यों मरता है? कैसे मरता है? क्या बुढ़ापे से, दुर्घटना से, आत्महत्या से, बम से या बारूद से? परमेश्वर का वचन कहता है कि आदमी इन सबसे नहीं मरता; वह तो अपने पाप के कारण मरता है, "क्योंकि पाप की मज़दूरी तो मौत है" (रोमियों ६:२३)। यीशु में आदमी का स्वभाव नहीं था, यानि पाप का स्वभाव नहीं था। इसलिए वह मर नहीं सकता था। फिर यीशु क्यों मरा? क्योंकि उसने मेरे पापों को अपने ऊपर ले लिया। एक अकेली मौत ने सारे संसार को हिला डाला। एक मौत ने इतना जीवन फैलाया है और इतने जीवन बदल रही है, और ऐसा इसके अलावा कभी मानव इतिहास में हुआ नहीं। वह मरकर जी उठा! उसमें जीवन है; जीवन जो वास्तव में जीने लायक है।


बहुत मुशकिल है


बहुत मुश्किल है कुछ आदमियों को प्यार करना; हम उन से नफरत करते हैं पर परमेश्वर उन्हें भी प्यार करता है। परमेश्वर अपने दुश्मनों को भी प्यार करता है। यह खुदा के प्यार की खूबसूरती है। उसके प्यार की खूबसूरती लोगों को अपने प्यार से बाँधे रखती है। प्यार सबसे सामर्थी है। कोई शक्ति उसे मिटा नहीं सकती। परमेश्वर के ऐसे प्यार से हमें कौन अलग कर सकता है? (रोमियों ८:३१)

आदमी पाप से इतना प्यार करता है कि उसके लिये सब कुछ कर जाता है। परमेश्वर पापी को इतना प्यार करता है कि वो उसके लिये सब कुछ कर जाता है। मुझ और आप जैसे के लिये परमेश्वर ने क्या कुछ नहीं किया?

लालच पाप है,
जिसके लिये आदमी क्या कुछ नहीं कर देता।
व्यभिचार पाप है,
जिसके लिये आदमी क्या कुछ नहीं कर देता।
घमंड पाप है
जिसके लिये आदमी क्या कुछ नहीं कर देता।

पर प्यार इंतज़ार करता है और वह सब कुछ सह लेता है; हाँ, क्रूस की मौत भी सह लेता है। परमेश्वर प्यार है, वह आपका इंतज़ार कर रहा है। वह आपकी बर्दाशात कर रहा है। आपके लिये उसके पास अभी भी आशा है।


जब मैं अपने आप से मिला


जब मैं अपनी असलियत से मिला तब मुझे मालूम हुआ कि मैं कितना मक्कार हूँ। जो दिखता हूँ, मैं वो हूँ नहीं। जो मैं अपने बारे में सोचता था पर मैं वैसा था नहीं। मेरे इतने काले कारनामे थे कि मुझे अपने ऊपर शर्म आती है। हर काली रात से भी काली थी मेरी छिपी ज़िन्दगी। इस पूरी तरह हारे हुए आदमी को प्रभु यीशु ने हमेशा की जीत में लाकर खड़ा कर दिया।

हो सकता है कि आप में से कुछ अपने आप से थक गए होंगे और हारे से खड़े होंगे। आपके सपने शायद साकार नहीं हुए होंगे। आशा तो बहुत रखी होगी पर निराशा ही मिली होगी। आपके पाप इतने शर्मनाक होंगे कि आपको खुद बताते हुए शर्म आती होगी। पर आपकी हर हार को जीत में बदलने के लिए आज फिर एक मौका आपके सामने है। आज कोई आपसे कह रहा है "देख मैं सब कुछ नया कर दूँगा" (यशायाह ४३:१९)। वह इस नए साल में सब कुछ नया कर देगा, यह उसका वायदा है।


अभी हम हार कर भी हारे नहीं


आप अपने से हिम्मत हार रहे हैं। हिम्मत हारना एक तरह से हार को न्यौता देना है। पर सच तो यह है कि अभी हम हारे नहीं हैं। वह हमारी हर हार को जीत में बदल सकता है। निराशा से निकाल कर आशा में ला सकता है। क्या आपको मालूम है कि मेरे जीवन में यह एक प्रार्थना - "हे यीशु, अब तू दया कर दे", से हुआ है। मसीह के आते ही मेरी ज़िन्दगी में निखार आ गया। अगर यीशु क्रूस पर नहीं होता तो मेरी शर्मनाक कहानी सब के सामने होती।

कोई शत्रु इतना सामर्थी नहीं, जिसे मसीह हरा न सके,
कोई परेशानी इतनी बड़ी नहीं, जिसे यीशु निकल न सके,
कोई लत इतनी बड़ी नहीं, जिसे यीशु छुड़ा न सके,
ऐसा कोई पाप नहीं, जिसे यीशु माफ न कर सके,
कोई रुकावट ऐसी नहीं, जिसे यीशु दूर न कर सके;

वह तुम्हारे सोचने से ज़्यादा सामर्थी है। (इफिसियों ३:२०)


ज़िन्दगी की कीमत तो पूछो


मेरी गलतियाँ मेरे दोस्तों के दिमाग़ से नहीं निकलतीं। मैं उन गलतियों के लिये दोस्तों से माफी भी मांग चुका हूँ, पर वक्त आने पर मेरी उन गलतियों को वो फिर मेरे सामने ले आते हैं, जिन्हें मेरा प्रभु माफ कर के भूल भी चुका है, मिटा चुका है। आदमी की माफी और परमेश्वर की माफी मे ज़मीन आसमान का फर्क है।

यह कहानी कहने का मेरा एक ही उद्देश्य है, कि आप मसीह की कहानी पर विश्वास करें। जो आदमी मौत माँगता था, और मौत पाने के लिए बहुत कुछ कर भी डाला, पर मौत थी कि हर बार उसे छोड़कर दूर कड़ी हो जाती थी; उस आदमी से इस ज़िन्दगी की कीमत पूछो।

माफी माँगकर फिर वही करना मेरी आदत थी। पर माफी देकर माफ करना उसकी आदत है। मैं कई बार अपनी बदी से बाज़ नहीं आया; और वह मुझे माफी देने से बाज़ नहीं आया। कैसे वह मुझ जैसे आदमी से प्यार करता है? बहुत प्यार से वह अपने हाथ मुझ पर रखकर कहता है, तू मेरा ही है (यशायाह ४३:१)।

सब कुछ तेरा है,
प्रतिज्ञाएं तेरी हैं,
स्वर्ग तेरा है,
और तो और स्वर्ग का मालिक भी तेरा है,
क्योंकि तू मेरा है!

क्या था, क्या बना दिया,
क्या बनाएगा!
क्या प्यार है, क्या क्षमा है,
क्या जीवन है!
मेरे प्रभु की क्या बात है!


मैं तो बस यह करता हूँ - उसके इस प्यार को गाता हूँ और दूसरों को बताता हूँ।

अब आप पर है कि आप अब क्या करते हैं?

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