संपर्क सितम्बर 2014 के लेख:
1. हम एक बड़े बिखराव के कगार पर खड़े हैं
2. चलिए बात करें आपके पाप की
3. आप कभी मिले हो ऐसे आदमी से?
4. सम्पादकीए आभार
5. आप की कहानी कब खत्म हो जाए?
संपर्क सितम्बर 2014 के लेख:
किसी ने कहा, “पिछले सप्ताह मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई। मेरे पिताजी धर्म प्रचारक थे। मेरे पिताजी जल्लाद की तरह मेरी माँ को बुरी तरह मारते थे। मैं यह सब देख कर अपने पिता को माफ नहीं कर सकता था। मेरे पिता के कारण मेरा विश्वास परमेश्वर और मसीह से हट चुका था। सालों तक नफरत का ज़हर भोगता रहा। बस मसीह के अनुगह ही से मेरा उद्धार हुआ। पहले मैं जिस आदमी को माफ नहीं कर सकता था अब उसे माफ करने की सामर्थ पा गया। मैं ने यीशु से माफी पा कर ही अपने पिता को माफ करने की सामर्थ पाई और बदले की ज़बर्दस्त पीड़ा से बाहर आ सका”।
है कोई आपके जीवन में जिसे आप आज माफ नहीं कर पा रहे हो?
अगर आप कहें कि मैं ने कोई पाप नहीं किया और ना ही करता हूँ, तो आप से कहने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है। केवल उन के लिए है, जो यह मानते और समझते हैं कि हम में पाप है। हम सब ने पाप किए हैं। मेरी असलियत क्या है; मसीह जानता है। आप क्या हैं और आपकी असलियत क्या है; मसीह जानता है। अपनी असलियत बस हम ही मानने को तैयार नहीं हैं। यीशु के लहू की दुहाई दे कर फिर से मसीह के लिए जीना शुरू करें।
पहला ज़रूरी काम है सुसमाचार को स्वीकारना और दूसरा है, दूसरों को सुसमाचार देना। सुसमाचार न देना सब से बड़ा अपराध है।
क्या आपने कभी अपने रिश्तेदारों को, पड़ौसियों को या अपने साथ काम करने वालों को, जो किसी भी वक्त अचानक नरक जा सकते हैं, उन्हें यह सुसमाचार दिया या नहीं दिया?
अगर नहीं तो अब सवाल यह उठता है कि आपने क्यों नहीं दिया? किसी डर के कारण या शर्म के कारण?
इस सुसमाचार के लिए प्रभु ने अपनी जान दी, आप उसी सुसमाचार से लजाते हो?
प्रभु का भक्त पौलुस कहता है, “हाय मुझ पर यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊँ” और “मैं सुसमाचार से लजाता नहीं हूँ”
आप अपने बारे में क्या कहते हैं?
खैर गलती तो सब से होती है; पर गलती जान कर गलती में बने रहना एक भयानक अपराध है। आप सुसमाचार के लिए क्या करते हैं और कितना करते हैं?
वह आपकी अयोग्यता से कहीं ज़्यादा आपसे प्यार करता है। आप में कमज़ोरियाँ और पाप होने पर भी वह आप से प्यार करता है।
पहले अपने पाप की तरफ देखो और फिर पाप से छुटकारा देने वाले की तरफ देखो। जब तक आप अपने पाप नहीं देख पाएंगे तब तक आप कभी पाप से छुटकारा देने वाले को नहीं समझ पाएंगे।
मेरी आँखें धुँधला गई हैं। मेरी हड्डियाँ अब मेरा बोझ नहीं उठा पातीं। मेरा दिल थक चुका है। पर यह मेरी कहानी का अन्त नहीं है। मैं अपनी सारी निर्बलता में जीता हूँ, आज भी मुझे अपने ऊपर भरोसा नहीं है। सुबह तो सुहावनी शुरू होती है, पर अन्धेरा होते-होते कई बार कुछ अन्धेर कर बैठता हूँ। समय बहुत कुछ उजाड़ गया है पर यह भी मेरी कहानी का अन्त नहीं है।
मुझ में अब भी आशा है। मेरा प्रभु थकता नहीं। वह मुझ जैसे आदमी से भी नहीं थका। जैसा वो मुझ जैसे आदमी के साथ बड़ा वफादार रहा है, आपके साथ भी रहेगा।
शायद यह सवाल कभी किसी ने आपसे न किया हो, क्या आपका जीवन पीछे जा रहा है?
आप पश्चाताप कर के फिर वही करते हो?
क्या आप वही सब तो नहीं कर रहे जो आप छोड़ चुके थे?
फिर वही सब कर रहे हो जो नहीं करना चाहिए था?
आपका प्रेम, प्रार्थना, प्रचार, उपवास, संगति और पारिवारिक प्रार्थना का क्या हाल है?
आपका पहला सा प्यार कहीं चला तो नहीं गया?
इन सवालों पर सोचिएगा, कहीं यह सवाल आपको बेचैन तो नहीं करते?
ये सवाल सब से नहीं पर आप से हैं जो इन पंक्तियों को अभी पढ़ रहे हैं।
हाँ या नहीं? जवाब दें।
यदि आपका उत्तर हाँ है, तो कहिएगा, “प्रभु मैं ने पहला सा जीवन कहीं खो दिया
और यह सच है कि मैं गिर चुका हूँ”।
अक्सर यह पूछा जाता है,
“क्यों, सब ठीक है ना?”
हमारा जवाब यही होता है, “सब ठीक है”।
पर सच तो यह है के जीवन में सब ठीक नहीं होता। क्या आप उस समय यह कहने की हिम्मत रखते हैं कि ’नहीं’ मेरे जीवन में सब कुछ सही नहीं है। मेरे अन्दर बहुत विरोध और कपट पनप रहा है। प्रभु के लिए पहला सा प्यार, उपवास, संगति और प्रचार चला गया है। ऐसे सवालों को सहना मुश्किल है और उनका सही जवाब देना और भी मुश्किल है।
शायद आप सोचते भी न होंगे कि ऐसे सवाल भी आपसे कोई पूछ बैठेगा और हम पसन्द भी नहीं करते कि हमसे कोई ऐसे तीखे सवाल करे।
आप कह सकते हो कि आप होते कौन हो, जो मुझ से ऐसे सवाल करते हो?
मैं नहीं पूछ रहा, पर कोई है जो आपसे पूछ रहा है, “हे आदम तू कहाँ है? हे हव्वा तू कहाँ है?”
आज ये सवाल आपको संवार सकते हैं और जीवन को एक सही दिशा दे सकते हैं।
यह सवाल हमारी सही हालत को हमारे सामने ला देते हैं।
इससे पहले कि कहीं देर, बहुत देर न हो जाए, यह सवाल आपसे करना बहुत ज़रूरी है कि आपका जीवन कहीं पीछे तो नहीं हटता जा रहा?
अगर हाँ तो आप खतरों के बहुत करीब खड़े हो। किसी भी खतरनाक खबर में आप भी हो सकते हैं। जो लोग चेतावनियों को नज़रान्दाज़ करते हैं, ज़्यादातर वे ही मौत का शिकार होते हैं।
क्या आप मण्डली से दूर तो नहीं चले गए?
क्या आपके दिल में किसी के प्रति कोई दूरी तो नहीं आ गई?
क्या आपके पास प्रभु के काम के लिए समय नहीं रहा?
क्या आपके अन्दर विरोध, जलन, लालच, व्यभिचार तो नहीं भर गया?
कहीं यह सन्देश आपकी असली हालत तो आपके सामने नहीं रख रहा?
फिर पूछता हूँ आपसे, क्या आप पीछे लौट रहे हैं?
क्या आप कहीं खतरे की सीमा रेखा पर तो नहीं खड़े?
यह सन्देश आपको इन सवालों के घेरे में ला कर खड़ा करता है।
सोचो मेरे मित्र, मेहरबानी से अपने जीवन के बारे में सोचो।
अभी समय है; फिर कहीं देर न हो जाए;
मेरे मित्र, अपने आप को रोको मत पर चिल्लाओ,
“हे यीशु मुझे बचा नहीं तो मैं गया।
मुझे उभार नहीं तो मैं मरा”।
दाऊद ने परमेश्वर को पुकारा और “दाऊद सब का सब लौटा लाया” ( १ शमूएल ३०:१९)।
जो दाऊद का, वही परमेश्वर आपका भी है
आप भी उसे वैसे ही पुकारो और सब लौटा लो।