शायद यह सवाल कभी किसी ने आपसे न किया हो, क्या आपका जीवन पीछे जा रहा है?
आप पश्चाताप कर के फिर वही करते हो?
क्या आप वही सब तो नहीं कर रहे जो आप छोड़ चुके थे?
फिर वही सब कर रहे हो जो नहीं करना चाहिए था?
आपका प्रेम, प्रार्थना, प्रचार, उपवास, संगति और पारिवारिक प्रार्थना का क्या हाल है?
आपका पहला सा प्यार कहीं चला तो नहीं गया?
इन सवालों पर सोचिएगा, कहीं यह सवाल आपको बेचैन तो नहीं करते?
ये सवाल सब से नहीं पर आप से हैं जो इन पंक्तियों को अभी पढ़ रहे हैं।
हाँ या नहीं? जवाब दें।
यदि आपका उत्तर हाँ है, तो कहिएगा, “प्रभु मैं ने पहला सा जीवन कहीं खो दिया
और यह सच है कि मैं गिर चुका हूँ”।
अक्सर यह पूछा जाता है,
“क्यों, सब ठीक है ना?”
हमारा जवाब यही होता है, “सब ठीक है”।
पर सच तो यह है के जीवन में सब ठीक नहीं होता। क्या आप उस समय यह कहने की हिम्मत रखते हैं कि ’नहीं’ मेरे जीवन में सब कुछ सही नहीं है। मेरे अन्दर बहुत विरोध और कपट पनप रहा है। प्रभु के लिए पहला सा प्यार, उपवास, संगति और प्रचार चला गया है। ऐसे सवालों को सहना मुश्किल है और उनका सही जवाब देना और भी मुश्किल है।
शायद आप सोचते भी न होंगे कि ऐसे सवाल भी आपसे कोई पूछ बैठेगा और हम पसन्द भी नहीं करते कि हमसे कोई ऐसे तीखे सवाल करे।
आप कह सकते हो कि आप होते कौन हो, जो मुझ से ऐसे सवाल करते हो?
मैं नहीं पूछ रहा, पर कोई है जो आपसे पूछ रहा है, “हे आदम तू कहाँ है? हे हव्वा तू कहाँ है?”
आज ये सवाल आपको संवार सकते हैं और जीवन को एक सही दिशा दे सकते हैं।
यह सवाल हमारी सही हालत को हमारे सामने ला देते हैं।
इससे पहले कि कहीं देर, बहुत देर न हो जाए, यह सवाल आपसे करना बहुत ज़रूरी है कि आपका जीवन कहीं पीछे तो नहीं हटता जा रहा?
अगर हाँ तो आप खतरों के बहुत करीब खड़े हो। किसी भी खतरनाक खबर में आप भी हो सकते हैं। जो लोग चेतावनियों को नज़रान्दाज़ करते हैं, ज़्यादातर वे ही मौत का शिकार होते हैं।
क्या आप मण्डली से दूर तो नहीं चले गए?
क्या आपके दिल में किसी के प्रति कोई दूरी तो नहीं आ गई?
क्या आपके पास प्रभु के काम के लिए समय नहीं रहा?
क्या आपके अन्दर विरोध, जलन, लालच, व्यभिचार तो नहीं भर गया?
कहीं यह सन्देश आपकी असली हालत तो आपके सामने नहीं रख रहा?
फिर पूछता हूँ आपसे, क्या आप पीछे लौट रहे हैं?
क्या आप कहीं खतरे की सीमा रेखा पर तो नहीं खड़े?
यह सन्देश आपको इन सवालों के घेरे में ला कर खड़ा करता है।
सोचो मेरे मित्र, मेहरबानी से अपने जीवन के बारे में सोचो।
अभी समय है; फिर कहीं देर न हो जाए;
मेरे मित्र, अपने आप को रोको मत पर चिल्लाओ,
“हे यीशु मुझे बचा नहीं तो मैं गया।
मुझे उभार नहीं तो मैं मरा”।
दाऊद ने परमेश्वर को पुकारा और “दाऊद सब का सब लौटा लाया” ( १ शमूएल ३०:१९)।
जो दाऊद का, वही परमेश्वर आपका भी है
आप भी उसे वैसे ही पुकारो और सब लौटा लो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें