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गुरुवार, 31 मार्च 2011

संपर्क फरवरी २०११ - उसने कहा मैंने सुना

गांव को पुलिस ने घेर रखा था। एक एक घर की तलाशी ली जा रही थी। पिछले दिनों की लूटपाट का माल घरों से पकड़ा जा रहा था। समीर साहब बहुत घबराए हुए थे। लूट्पाट की छोटी मोटी चीज़ें होतीं तो छिपा लेते, पर पांच बोरे शक्कर के कहां छुपाएं? पकड़े गए तो सीधे अन्दर जाएंगे। अन्धेरा होने का इन्तेज़ार करते रहे। रात के अन्धेरे में एक-एक बोरा करके पिछवाड़े के कुएं में डालने लगे। पाँचवे बोरे तक समीर साहब इतना थक चुके थे कि उसे कुएं में डालते डालते खुद भी कुएं में जा पड़े। बहुत शोर मचाया, बीवी चिल्लाई, गांव वाले इकट्ठे हो गए, किसी तरह उन्हें बाहर निकाला। चोट काफी लगी थी और सुबह होते-होते समीर साहब की चिड़िया फुर्र हो गयी और मियाँ दफना दिए गए। बाद में जब लोगों ने उस कुएँ का पानी पिया तो पानी मीठा था। लोगों ने सोचा, "यह पानी मीठा कैसे हो गया?" ज़रूर समीर खुदा का खास बन्दा होगा। शाम तक उस चोर की कब्र फूलों और मोमबत्तियों से सज गई। उस चोर की कब्र पर हर साल उसी दिन मेला लगने लगा और लोग उसे पूजने लगे।

चमत्कार को नमस्कार


इन्सानों में किसी न किसी को पूजने का स्वभाव होता है, वो चाहे डर से पूजें या मतलब से। कई बार लोग आश्चर्यकर्मों को देखकर आदमी को पूजने लगते हैं।

अन्तिम दिनों में लोग चिन्ह चमत्कारों पर विश्वास करेंगे और ऐसे लोगों के पीछे हो लेंगे। प्रभु तो हम से पहले ही कह चुका है। प्रभु यीशु ने २०१० साल पहले अन्तिम समय की जो भविष्यवाणियाँ कीं थीं, उसमें से एक यह भी है, "क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएंगे..." (मत्ती २४:२४)। सारे संसार में लोगों को कई प्रचारक चिन्ह-चमत्कारों से भरमा रहे हैं।

यह सच है कि परमेश्वर आश्चर्यकर्म करता और चंगाई देता है। पर उसमें भी उसकी कोई योजना होती है। वह हमें सिर्फ चंगाई देने और आश्चर्यकर्म दिखाने नहीं आया था। इसलिए हमारा विश्वास आशचर्यकर्मों पर नहीं, परमेश्वर के जीवित वचन पर होना चाहिये।

किताबों और शास्त्र (पवित्रशास्त्र) में अन्तर है। किताब पढ़ते ही वह पुरानी हो जाती है। पर पवित्रशास्त्र को जब हम रोज़-रोज़ और बार बार पढ़ते हैं तो वह हमें नया बनाने लगता है। वह हममें उतरने लगता है और हमें अपनी समानता में अंश-अंश करके बदलता जाता है। हर बार वह हमारे लिये नया बनता जाता है और हमें नया बनाता जाता है। जब पाप का विचार हमारे मन पर वार करता है तब यह शास्त्र हमारे मन के लिये शस्त्र बन जाता है। जब हम इससे दुष्टता पर वार करते हैं तब यह हमारे लिये सुरक्षा बन जाता है। जब निराशा हम पर वार करती है तब यह शस्त्र हमारी निराशा पर वार करता है और कहता है, "मत डर मैं हूँ" (मत्ती१४:२७)। यह शास्त्र मुझसे कहता है, मैं तेरी हर हार को जीत में बदल दूँगा।

इसी वचन से मैं परमेश्वर के स्वभाव को समझता हूँ। अगर परमेश्वर मेरे स्वभाव का होता तो क्या होता? तब तो यह दुनिया बहुत पहले ही खत्म हो गई होती और स्वर्ग में उल्लू बोल रहे होते। एक नरक से क्या काम चलता, कई नरक खड़े करने पड़ते। प्रभु का धन्यवाद हो, परमेश्वर मेरे जैसे स्वभाव का नहीं है।

परमेश्वर का वचन मुझे परमेश्वर के स्वभाव को बताता है। वह उसकी क्षमा, प्यार और दया को बताता है। उसके क्षमा करने वले स्वभाव के कारण ही मैं बचा रह पाता हूँ। उसके इस प्यार को, उसकी दया और उसकी क्षमा को मैंने इस वचन से ही जाना है। परमेश्वर का वचन सिर्फ इतिहास का हिस्सा ही नहीं है, पर इसमें तो मेरे और आपके छिपे हुए जीवन का इतिहास भी लिखा है।

जो आईना असली चेहरा दिखाता है, वह बुरा लगता है, उसे कौन देखना चाहता है? सच्चा आईना वह है जो मेरी असली सूरत दिखाता है, पर वह हमें पसन्द नहीं आता। मैं तो सिर्फ आपके सामने आईना रख रहा हूँ।

सूरज को छिपाया जा सकता है, कितना आसान है - आप आँखें बंद कर लें, अंधेरा आ जाएगा और सूरज छिप जाएगा। भले ही आप कहते रहें कि उजाले में खड़े हैं, मगर अन्दर तो अन्धेरा ही है। अगर आप दिमाग़ के सोचने के दरवाज़े बंद कर लें, तो कितने ही उजाले सामने रख दें, सब अंधेरे में बदल जाएगा।


मूर्ख, ज्ञानी, प्रज्ञानी


तीन प्रकार के लोग होते हैं: मूर्ख, ज्ञानी और प्रज्ञानी। परमेश्वर का वचन बताता है कि मूर्ख वे हैं जो सुनते तो हैं पर मानते नहीं, गिरते तो हैं पर उठते नहीं। वे गलती करके अपनी गलती से सीखते नहीं, पर वही गलती करते हैं, "कुत्ता अपनी छांट की ओर और धोई हुई सुअरनी कीचड़ में लोटने के लिये फिर चली जाती है" (२ पतरस २:२२)। ज्ञानी वह होते हैं जो गलती करते तो हैं, पर गलतियों से सीख लेते हैं, उन्हें फिर नहीं करते, "क्योंकि धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है" (नीतिवचन २४:१६)। परमेश्वर के वचन में कितनों की गलतियां दर्ज हैं, उन गलतियों के दुखदायी परिणाम भी उसमें दर्ज हैं। प्रज्ञानी वे हैं जो दुसरों की गलतियों से सीख लेते हैं, परमेश्वर के वचन में दर्ज बातों को पढ़कर उनसे सीख लेते हैं और बच निकलते हैं।


वो खबर जिससे आप बेखबर हो


हर रोज़ खूनी खबरों से लथपथ अखबार हर सुबह हमारे दरवाज़े पर डाल दिया जाता है। अगर खबर में खून खराबे की खबर न हो तो खबर खबर नहीं लगती। पर परमेश्वर के वचन में आपके लिए वो खबर है जिससे आप बेखबर हैं। जी हाँ, जीवन की खबर है; हाँ, बहुतायत के जीवन की खबर जिससे कि आप जीवन पाएं और बहुतायत का जीवन पाएं। परमेश्वर के वचन में बदलने की सामर्थ है, अगर वह आपके दिल में उतर आए तो जीवन ले आएगा। उसमें तो वो ज़िन्दगी है जिसमें आदमी मरकर भी जीता है।


हार जीत में बदल गई


अगर आप हालात से हिम्मत हार रहे हैं, तो यह हिम्मत हारना एक तरह से हार को निमंत्रण देना है। पर सच तो यह है कि अभी हम हारे नहीं हैं। अगर परमेश्वर के वचन में हारे हुए लोगों की जीत कहानी न होती तो फिर मुझे जीने का उत्साह कहाँ से मिलता? आपको मालूम है, जब मैं इस वचन में अपने जीवन की कहानी को देखता हूँ तो इस वचन से मुझ जैसे हारे हुए को एक नयी आशा मिलती है। मेरा प्रभु मुझे कभी नहीं छोड़ेगा, और न त्यागेगा (इब्रानियों १३:५)। वह मेरी हर हार को जीत में बदल देगा।

आप इस सम्पर्क को पढ़ रहे हैं, मुझे खुशी है। क्योंकि इसमें मैं आपको एक खुशी की खबर देने जा रहा हूँ जो आज, कल और युगानुयुग के लिए है। आप आशीशित हैं क्योंकि आप इसे पढ़ रहे हैं। शैतान और दुष्टात्माएं नहीं चाहतीं कि आप इसे पढ़ें और विश्वास करें। यह बात ध्यान से सुन लीजिएगा; यह बात मेरी नहीं है, परमेश्वर की है और उसकी आत्मा की है। इसे न मानकर, आप मेरा अपमन नहीं करेंगे, वरन उसका अपमान करेंगे। अगर आप इस खुशी की खबर को पढ़कर अपने पास रख लेंगें तो यह खुशी बढ़ेगी नहीं बल्कि घटेगी। अगर आप इस खुशी को अपने अन्दर जीवित रखना चाहते हैं तो इस जीवन की खुशी को हर रोज़ बाँटना है। तब देखियेगा, यह बढ़ने लगेगी। क्या आप ऐसा करेंगे?

यदि आप कहते हैं कि मुझे यह बात बतानी नहीं आती; और यदि आप कहते हैं कि मैं क्या बाँटूं, मेरे पास तो कुछ नहीं है? ध्यान से दिखियेगा, यह आपके हाथ में क्या है? इसी को बाँट दीजिएगा, इसे बाँटने से यह खुशी बढ़ जाएगी और फल लाएगी।

क्या परमेश्वर के वचन ने आपसे कुछ कहा है? अगर यह वचन आपको चुभ रहा है तो आप में कहीं आत्मिक आग बची हुई है। भले ही आपका जीवन धुँआ ही क्यों न दे रहा हो, यह धुँआ ही सबूत है कि आप में आग अभी बाकी है। इसलिए प्रभु का वचन कहता है, "वह कुचले हुए सरकण्‍डे को न तोड़ेगा और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा" (मत्ती १२:२०)।

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