विश्व का एक बड़ा विद्वान बड़ी बेवकूफी की बात कहता है, “विज्ञान सब कुछ कर सकता है - विज्ञान एक ऐसी गोली बनाएगा कि बदमाश उसे खाएगा और सन्त बन जाएगा। सारा देश शरीफ बन जाएगा। न चोरी होगी, न पति-पत्नि में लड़ाई, न हत्या होगी और अमीर शोषण करना बन्द कर देंगे”। क्या कभी ऐसा हो सकता है? ज़रा सोचिए! क्या विज्ञान सब कुछ कर सकता है? एक गोली खिलाओ और बदमाश शरीफ बन जाए? एक गोली खिलाओ और आपके घर के झगड़े मिट जाएं? एक गोली खिलाओ सरकारी कर्मचारी और नेता रिश्वत लेना छोड़ दें और बड़ी मेहनत करने लगें? अगर ऐसा हो पाता तो नर्क बनती यह दुनिया कब की स्वर्ग बन जाती। विज्ञान सब कुछ नहीं कर सकता। सच है, विज्ञान मानव का बहुत सहायक रहा है, पर उसने उसे भयानक हथियार भी दिए हैं; हवा, पानी, पर्यावरण - सब कुछ दूषित कर दिया और ज़हरीला बना दिया है।
तुम उधर रह गए, हम इधर
जो विज्ञान नहीं कर सका, क्या हमारे धर्म कर सकते हैं? कितने ही संप्रदाय मोक्ष-मुक्ति की कितनी ही युक्ति बताते और सिखाते हैं; ऐसी युक्ति जो कभी मुक्ति नहीं दे सकती। धर्मों ने भी अपनी एड़ी-पन्जों का पूरा ज़ोर लगा लिया, लेकिन उसने आदमी को आदमी नहीं, उग्रवादी ज़रूर बना दिया।
हमारे धर्म हमें इन्सानियत से कहीं दूर ले गए हैं। हमारे धर्मों की दीमक इन्सानी प्यार को कहीं चट कर गई है।
प्यार का पुल टूट गया,
तुम उधर रह गए,
और हम इधर,
धर्मों की धाराओं ने हमें आपस में बांट दिया है। हम इन्सान नहीं रहे; अब हम इसाई, मुसलमान, सिक्ख और हिन्दू बन कर जी रहे हैं।
जब तक हम जन्म के आधार पर आदमी पर धर्म थोपते रहेंगे, तब तक संसार धर्मों का यह अधर्म सहता रहेगा, और भयानक उग्रवाद को, आपसी जलन और द्वेष को और निर्दोषों की हत्या को भोगता रहेगा। पूरे मानवीय इतिहास में कभी भी इतने अधर्म के काम नहीं हुए जो धर्म के नाम पर आज हो रहे हैं।
खूनी खबरों से लतपथ
खूनी खबरों से लथपथ अखबार हर सुबह हमारे दरवाज़े पर डाल दिया जाता है। हम आदी हो गए हैं ऐसी खबरों के और ऐसी ही खबरें हमें खबरें लगती हैं बाकी सब खबरें बकवास हैं।
हम ईमानदारी की बात तो करते हैं और ईमानदारी के आन्दोलन भी करते हैं। पर हम दुसरों के साथ क्या ईमानदार होंगे, जब हम खुद अपने ही साथ ईमानदार नहीं? हमारा विवेक हम से कहता है, “तू लालची है।”
एक पति से कहता है, “तू अपनी पत्नि के साथ ईमानदार नहीं; तू घमंडी है”।
हम अपने विवेक की आवाज़ को टाल कर अपने आप से कहते हैं, “बिना रिश्वत दिए कहाँ काम चलता है?”
रेल में बिना टिकिट चलने से कोई पाप थोड़े ही लगता है? इतना तो चलता है, सब करते हैं”।
जैसे मछली जीवन भर पानी में रह कर कभी यह नहीं जान पाती कि मैं गीली हूँ, वैसे ही आदमी जीवन भर पाप में रह कर कभी यह एहसास नहीं कर पाता कि मैं पापी हूँ।
आदमी को सही और गलत की कोई चिन्ता नहीं। उसे चिन्ता है तो सिर्फ अपने स्वार्थ और अपनी मस्ती की। सच तो यह है कि हम अपने आप से ही ईमानदार नहीं। क्या आप अपनी ज़िन्दगी को बहुत करीब से देख सकते हो, जहाँ आपके पाप आपको साफ दिखाई दें?
एक नहीं, एक भी नहीं
किसी आदमी से पूछिएगा! क्या कुछ और चाहिए? वह कहेगा, “हाँ थोड़ा और मिल जाता तो क्या बात होती! मेरी नाक सही नहीं है। रंग थोड़ा सा और साफ होता,
मेरे सिर पर कुछ ज़्यादा बाल होते,
मेरे पास उस के जैसी बीवी होती,
या उसके जैसा पति होता तो मैं ज़्यादा खुश होती”।
एक नहीं, एक भी नहीं,
जो भी ज़िन्दगी में चाहा मिल गया और बहुत मिला पर खुशी नहीं मिली, तो फिर क्या मिला? ऐसी ज़िन्दगी के साथ ज़रूर कोई कमी है।
यहाँ पर कौन खुश है और कौन सन्तुष्ट?
ऐसी कोई ज़िन्दगी नहीं
जिसमें कोई ग़म न हो।
परेशानी न हो,
बेचैनी न हो।
एक नहीं, एक भी नहीं.
एक बच्चा बहुत सन्तुष्ट है - उसकी सोच में भी नहीं है कि बिजली के बिल का क्या होगा? शाम के खाने में क्या मिलेगा? एक मोज़ा अलग रंग का है दूसरा अलग रंग का; निक्कर पीछे से फटी हो, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और ना ही उसे कोई चिंता सताती है। ऊँगली पर चोट लगे तो एक छोटी से पप्पी उसके दर्द को कम कर देती है। यहाँ तो वह हाल है कि दर्द की गोली खाकर भी अपने दर्द और परेशानियों को गाते फिरते हैं।
पाप ही परेशानी का मूल कारण है। कोई भी अहंकारी आदमी, घमंडी आदमी, लालची, स्वार्थी, क्रोधी आदमी न खुश रहेगा और न ही किसी को रहने देगा। वो न खुशी से जीएगा और न ही खुशी से जीने देगा। आपको ज़रूर कुछ बातें परेशान करती होंगी। जैसे: शायद कुछ पड़ौसी, नौकरी में आपका बॉस, परिवार में आपके रिश्तेदार, पत्नि या पति। या फिर आपकी कुछ बुरी लतें। एक भी नहीं जो परेशान न हो। क्योंकि एक भी ऐसा नहीं जिसने पाप न किया हो।
डूबता डूबते को कैसे बचाएगा
कोई पापी किसी पापी को कैसे छुटकारा दे सकता है या पाप से निकाल सकता है? खुद डूबता हुआ आदमी किसी डूबते हुए को कैसे बचा सकता है? धर्म, कानून हालात हमें पाप की परेशानियों से नहीं छुड़ा सकते। रिश्वत लेते ही एक डर सताने लगता है। बिना टिकिट रेल में चढ़ते ही आप यात्रा का आनन्द खो देते हैं और डर के साथ यात्रा काटते हैं। जब तक आप उतर नहीं जाते लगातार एक डर आपको सताता है। रिश्वत के साथ बेचैनी का डर खाता रहता है। रिश्वतखोरी की धर-पकड़ की खबरें आपको डराती रहती हैं। आप जीवन की यात्रा का सारा आनन्द खो देते हैं। आपका व्यभिचार आपके घर की खुशी को झगड़ों में बदल डालेगा। आपका पाप आपके जीवन की यात्रा का आनन्द ही खत्म कर देगा। बात यहीं नहीं थमेगी। पाप की बात तो मौत के बाद आगे तक आपके साथ जाएगी। एक परमेश्वर का दास कहता है,
“हाय मुझे कौन इस पाप की देह से छुड़ाएगा?”
परमेश्वर ही है जिसमें कोई पाप नहीं है। यीशु में कोई पाप नहीं है, क्योंकि यीशु परमेश्वर है। क्या आप यीशु का नाम सुनते ही इसाई धर्म के बारे में तो नहीं सोचने लगते? क्या यह पत्रिका आपको किसी धर्म के बारे में बता रही है? आप माने या ना मानें, इस पत्रिका का इसाई धर्म से कोई लेना देना नहीं है। हमारा पूरा विश्वास है कि किसी का धर्म परिवर्तन करना पाप है। हम आपको यीशु के बारे में बता रहे हैं जो आपको पाप के श्राप से, बेचैनी के श्राप से छुटकारा देने आया।
उसने वो शान्ति दी,
आनन्द दिया,
वो प्यार दिया, कि जीवन ही दीये की तरह चमकने लगा,
वह धर्म देने नहीं आया,
वो जीवन देने आया,
प्यार भरा प्यारा सा जीवन।
मौके तो हमेशा इंतज़ार नहीं करते
मौके हमेशा के लिए नहीं रहते। पर यह मौका आपके लिए ठहरा है कि आप नाश न हों। जिन्होंने अपने पाप से पश्चाताप नहीं किया उन्होंने अपना अन्त ठहरा लिया है। आपको एक मौका मिल रहा है जो कितनों को नहीं मिला। पर आप कितने सौभाग्यशाली हैं कि परमेश्वर ने आपको फिर यह मौका दिया है कि आप अपने पाप से पश्चाताप करके एक प्रार्थना करें, “हे यीशु मुझ पापी पर दया करें”।
कुछ जो साथ थे वो मिट कर आज इतिहास में हैं। जो बचे हैं वो कल के इतिहास में किसी भी वक्त चले जाएंगे। मैं अपने एक मित्र को उसकी आखिरी विदाई देने जा रहा था। यह उसका आखिरी सफर था। उसे शमशान तक छोड़ना था। शमशान में एक अजीब सी खामोशी थी। पर उस खामोशी का डर हर एक चेहरे पर साफ था। वहाँ आते ही सबको अपनी-अपनी मौत का डर सताने लगता है। जब कभी ज़िन्दगी के बीच मौत की तस्वीर उभर कर आती है तब सब कुछ व्यर्थ लगने लगता है। मौत तो हर एक के रास्ते में है, बस हम सबका वक्त अलग-अलग हो सकता है।
वक्त तेज़ी से डूब रहा है। सच मानिए अब बहुत शीघ्र ज़मीन पर कुछ ऐसा गुज़रेगा जिसे हमने कभी सोचा भी नहीं था। अब बहुत तेज़ी के साथ कुछ होगा ज़रूर जिसे कोई रोक नहीं पाएगा। सुबह से शाम तक कई हादसों के बारे में हम सुनते हैं। हो सकता है आप कुछ हादसों से बच भी निकलें हों पर अभी कोई आखिरी हादसा है जो आपका इंतिज़ार कर रहा है। शायद एक दिल का दौरा आपके जीवन की राह पर है जो धीरे-धीरे बढ़ रहा है। आपको मालूम भी नहीं होगा और अचानक खेल खत्म हो जाएगा। मौत आपके हाथ से हर मौका ले लेगी। आपकी बीमारी और परेशानी आपको मौत तक ही परेशान कर सकती है। पर इकलौता पाप ही है जो मौत के बाद भी आपको भयानक परेशानी में डाल सकता है। वहाँ कभी भी परेशानियों का अन्त न होगा। पर वहाँ जो होगा वह सब अनन्त होगा।
शायद आपकी हर आस उजड़ चुकी हो और सारी हिम्मत बिखर चुकी हो। लगता हो कि अब कुछ भी सुधरने वाला नहीं। चाहे आप कितने ही बड़े पापी क्यों न हों और कितना ही हारे हुए क्यों न हों। अब आपको लगता हो कि मैं ज़िन्दगी से पूरी तरह हार चुका हूँ। प्रभु यीशु आपको कहता है, “मत डर, मैं हूँ, मैं तुझे बनाऊँगा”। “हे बोझ से थके मांदे लोगों मेरे पास आओ”।
यह सन्देश आपके लिए वह कर सकता है जो आप अपने लिए कभी नहीं कर सकते। यह आपको वह दे सकता है जो आप कभी पा नहीं सकते। यह आपको ऐसी खुशी और शान्ति और पापों की क्षमा दे सकता है। बस! विश्वास कर के एक प्रार्थना की ज़रूरत है, “हे यीशु मुझ पापी पर दया करें। मेरे पाप को यीशु के नाम से क्षमा करें”। बस यही प्रार्थना असंभव काम को संभव कर डालती है।
आप इस पत्रिका को पढ़ कर चुपचाप एक तरफ रख सकते हैं। पर आप फिर यह नहीं कह पाओगे कि प्रभु आपने मुझे पाप से पश्चाताप का मौका कब दिया?
आपके पास समस्याएं हैं। पर हो सकता है कि मेरे पास आप से भी बड़ी समस्याएं हों। लेकिन मेरे पास मेरी समस्याओं से भी बड़ा मेरा परमेश्वर है। जो मुझ जैसे आदमी से भी प्यार करता है। उसने मेरे और आपके पापों के लिए अपने प्राण दिये। वह इतना सामर्थी है कि मर कर फिर जी उठा। उसी से मैंने एक दिन कहा था, “हे यीशु! मुझ पापी पर दया कर के मेरे पापों को माफ कर दो और मुझे अपने लहू से धो दो”। इन कुछ पलों की प्रार्थना के बाद मैं ने एक नया जीवन जीया है। सच मानिए,
बहुतायत का जीवन,
अद्भुत जीवन,
आनन्द का जीवन।
क्या आप एक ऐसी प्रार्थना करके प्रभु को परख कर देखेंगे?
“हे यीशु! मुझ पापी पर दया करें”।
सार्थक एवं सटीक आलेख... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है। http://mhare-anubhav.blogspot.com/
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