कहीं खो न जाएं
एक पागल ने मोहल्ले में काफी उत्पात मचा रखा था। इसीलिए उसे शहर के अधिकारियों ने पाँच साल के लिए पागलखाने भेज दिया। जब उसके पागलखाने से छूटने के लगभग पाँच महीने रह गए थे, अचानक एक दिन उसने अपने काम में व्यस्त एक सफाई कर्मचारी के पीछे से आकर फिनाएल के रखे हुए डिब्बे को पूरा पी लिया। इस घटना के बाद वह बहुत ही बुरी दशा से होकर निकला। बस यूँ कहिए कि वह मरते-मरते ही बचा। जैसे ही वह ठीक हुआ तो उसके साथ एक अजीब घटना घटी जिसके साथ उसका दिमाग़ भी ठीक हो गया।
तब वह पागल पगालखाने के अधिकारी के पास गया और कहने लगा कि “मैं अब ठीक हो गया हूँ। कृप्या मुझे इस पागलखाने से जाने की इजाज़त दे दीजिए।” अधिकारी मुस्कराते हुए कहने लगा, “अभी जाओ, फिर देखेंगे।” क्योंकि अकसर कई पागल उसके पास आते और ठीक होने का दावा करते थे। अतः इसके निवेदन को किसी ने कोई महत्व नहीं दिया। अब उसे पाँच महीने काटने बड़े मुश्किल हो गए। यूँ कहिये कि एक-एक दिन काटना भारी हो गया। रात-रात पागल चिल्लाते और ऊट-पटांग हरकतें करते। इस व्यक्ति ने साड़े चार साल से अधिक उनके साथ बिताए। अब जब केवल पाँच महीने ही काटने थे तो यह उसके लिए असंभव हो रहा था। सोचिए साड़े चार साल कैसे काट दिए परन्तू पाँच महीने क्यों नहीं काट पाया? सालों सँसार के साथ जीने के बाद जब किसी व्यक्ति का जीवन बदल जाता है और अपनी सही समझ में आ जाता है तब उसके लिए सँसार के लोगों के साथ जीना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए प्रभु ने आपको अपनी संगति में बुलाया है (१ कुरिन्थियों १:९)|
आज आप जो अपने बच्चों के जीवन में बोएंगे कल वही तो काटेंगे। सँसार में कहीं हमारे बच्चे खो न जाएं।
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