हर डर जब हार गया
आप सोचते हैं कि आप का बुरा हो रहा है। आप्के साथ बुरा हो ज़रूर रहा है पर आपका बुरा हो नहीं सकता। वह आपका बुरा कर ही नहीं सकता। वह आपका बुरा सोचता तक भी नहीं है। जो आपकॊ बुरा लग रहा है उसमें भी आपकी भलाई छिपी हुई है। आज नहीं तो कल आप उसे देख लेंगे। हर बार समस्याएं सज़ा नहीं होतीं पर कई बार समस्याएं हमारे जीवन को सही रूप से संवारती और सजाती हैं। यह हमें मज़बूत बनाती हैं। क्या हमारी समस्याएं धन्यावाद का विषय नहीं हैं?
पर कुछ नकारात्माक सोच के लोग जीवन में कभी धन्यावादी नहीं हो सकते। वे तो हर समस्या को तिल का ताड़ बनाकर देखते हैं। वे अपना नुकसान नहीं सह सकते और अपने विरोध में कुछ सुन नहीं सकते। पर प्रभु हमें हर हाल में ख़ुश रहना सिखाता है।
एक व्यापारी अपने सारे मित्रों में बार-बार अपनी किस्मत को कोसता हुआ मित्रों से कहता, “यार क्या बताऊँ किस्मत फूट गयी एक लाख रुपए का नुक्सान हो गया।” झुंझालाई हुई बीवी ने उसके मित्रॊं से कहा, “सुबह से यही रोना रो रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि एक सौदे में दो लाख के फायदे का हिसाब लगाए हुए बैठे थे और फायदा एक लाख का हुआ।” ऐसे स्वाभाव के व्यक्ति कहाँ आराधाना कर पाएंगे।
ज़रा सोचें तो सही कि सृष्टि की सबसे बड़ी बुराई यह थी कि जिसने कभी बुरा किया ही नहीं उसके साथ सबसे अधिक बुरा करके उसे क्रूस पर चढ़ा दिया गया। यही सबसे बड़ी बुराई, मेरे लिए, परमेश्वर ने सबसे बड़ी भलाई बना डाली। जिन्होंने प्रभु के सिर पर काटों का ताज रखा उनके लिये भी प्रभु के पास स्वर्गिय ताज था जिसमें एक भी कांटा नहीं।
कभी-कभी जन्दगी में उस वक्त से भी गुज़रना पड़ता है जब हमारा विश्वास हिल जाता है। तब कितने ही सवाल हमें बहुत बेचैन करते हैं, ऐसा क्यों हुआ? पर प्रभु हमारी हर हार को भी जीत में बदलने की सामर्थ रखता है। प्रभु आपको प्यार करता है इसलिए आपको इन परिस्थित्यों से निकाल रहा है।
वह रात इतनी ठन्डी थी कि महायाजक के आंगन में सिपाही आग ताप कर रात काट रहे थे। उसी रात सुनसान गतसमनी बाग़ में प्रभु का पसीना बह रहा था। क्योंकि परमेश्वर के सामने सृष्टि का सबसे कठिन काम आ गया था। जो यीशु पाप को देख नहीं सकता था, उसे मेरे लिये पाप बनना पड़ रहा था। यह उसके लिए सबसे कठिन काम था पर वह उसे भी मेरे लिए कर गया। वह अपने पिता से कह रहा था, “ऎ बाप यदि हो सके तो यह प्याला मुझ से टल जाए, फिर भी मेरी नहीं तेरी इच्छा पूरी हो।” अन्ततः उसने परमेश्वर की इच्छा के आगे अपने आप को समर्पित कर दिया।
ऐसा महान परमेश्वर मुझ और आप जैसे इन्सान को ऐसा प्यार करता है। यही प्यार का एह्सास सच्ची आरधना का जन्मदाता है।
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