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शनिवार, 7 नवंबर 2009

सम्पर्क दिसम्बर २०००: संपादकीय

प्रभु में प्रियों,


सिर्फ प्रभु यीशु की दया और उसके पवित्र सन्तों कि प्रार्थनाओं के उत्तर में सम्पर्क का दुसरा अंक प्रस्तुत कर पा रहे हैं। अनेक भाई बहिनों के पत्रों ने हमें बहुत ही उत्साहित किया। उन्होंने लिखा कि उन्हें सम्पर्क के माध्यम से प्रभु ने कितना आशीशित किया। इसकी सारी महिमा हमारे प्रभु ही को मिले। आप में से कई लोगों ने हमारे लिये उपवास और प्रार्थनाएं कीं। उसके उत्तर को हम पिछले दिनों में साफ एहसास करते रहे। आपकी इस सहायता के लिए आपका बहुत धन्यवाद।


इस साल की समाप्ति के साथ-साथ कितने ही मौके जो हमारे पास थे, वे भी समाप्त हो गये। समय के अनुसार हमें बहुत आगे होना चाहिये था, पर शयद हम पिछड़ गये। कुछ अपने थे जो हमारे साथ नहीं रहे। कुछ, जो अपने जीवन की परेशानियों से थक चुके होंगे, अपने को मोहताज और हारा हुआ महसूस कर रहे होंगे। कुछ निराशा के कगार पर खड़े होंगे, शयद कुछ ने प्रभु से मौत भी मांगी होगी। बाईबल में कुछ धर्मी जन थे, जैसे मूसा, जिसके द्वारा बाईबल का लगभग १/८ हिस्सा लिखा गया, जो नये नियम के लगभग दो तिहाई भाग के बराबर है, ऐसा प्रभु का महन दास क्या कहता है “...मुझ पर तेरा इतना अनुग्रह हो कि तू मेरे प्राण एकदम ले ले - (गिनती ११:१५) ऐसा महान दास इतनी निराशा में दिखता है। योना नबी क्या प्रार्थना करता है-सो अब हे यहोवा (परमेश्वर) मेरे प्राण ले ले, क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मरना भला है - (योना ४:) अय्युब क्या कहता है मैं गर्भ में क्यों न मर गया? (अय्युब ३:११) एलिय्याह ने निराश होकर क्या मांगा हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ - (१ राजा १९:) यर्मियाह प्रभु के सामने कैसे रोता है उसने मुझे गर्भ में ही क्यों न मार डाला कि मेरी माता का गर्भाशय ही मेरी कब्र होती - (यर्मियाह २०:१७) ये सब धर्मी जन थे और धर्मी जन की प्रार्थनों से बहुत कुछ हो सकता है (याकूब ५:१६) इन धर्मी जनों ने प्रर्थनाएं तो कीं पर इनकी प्रार्थनाएं सुनी नहीं गईं। आप ही अकेले ऐसी निराशाओं का सामना नहीं कर रहे हैं। बाईबल का ६० सदियों का इतिहास ऐसे निराश, हारे हुए लोगों से भरा है जो अपने को पूरी तरह से हारे हुए महसूस करते थे। पर प्रभु ने इन्हीं के द्वारा बड़े बड़े काम कर डाले। यही उसकी महानता है कि उसने ऐसे नालायकों, कमज़ोरों और अयोग्यों को बड़ी योग्यता से उप्योग कर डाला है। शायद बीते वर्ष में आपने पाप को गम्भीरता से न लिया हो और आप पाप में गिर गये हों। हाँ यह तो सत्य है कि पाप के कारण ताड़ना सह कर उसकी महंगी कीमत तो चुकनी पड़ती है। पर प्यारा प्रभु आपको ना छोड़ेगा ना त्यागेगा। इब्राहिम ने मिस्त्र मेंजाकर और सारा के कहने में आकर हाज़िरा के पास जाकर पाप किया। इस विश्वासियों के पिता ने यह बड़े अविश्वास का काम किया। मूसा पृथ्वी का सबसे नम्र व्यक्ति था। उसने घमंड से कहा, मैं कब तक तुम्हारे लिये पानी निकालता रहूँगा। दाऊद जिसके द्वारा भजन संहिता के ७३ अनुपम भजन लिखे गये हैं, इस प्रभु के जन ने व्यभिचार और हत्या का पाप करके प्रभु के दिल को कैसा दुखाया था। पतरस अपने प्रभु का तीन बार शर्मनाक ढंग से इन्कार कर गया। प्रभु ने इनमें से एक को भी न कभी छोड़ा और न त्यागा। आपका प्रभु आज भी अपके लिये वैसा ही है। भले ही आप क्यों न बदल गये हों, आने वाले सालों में वो वैसा ही बना रहेगा जैसा पहले था, और यह बात इस काबिल है कि ऐसे ही कबूल की जाए।


यह तो सत्य है कि पाप बहुत महंगा मेहमान है, पर आप पाप के लिये नहीं हैं और न संसार के लिये। आपको परमेश्वर ने एक विशेष उद्देश्य के लिये सृजा है। अगला साल भी इतना सहज तो नहीं होगा जितना आप सोचते हैं। शैतान एक हारे हुए युद्ध की लड़ाई लड़ रह है। युद्ध हारकर पीछे हटती हुई सेना, जितना नुकसान कर सकती है, करती हुई लौटती है। शैतान भी आपका नुक्सान कर सकता है पर आपको नाश नहीं कर सकता। आपको निराश कर सकता है पर आपका विनाश नहीं कर सकता।


एलिय्याह के दिन ऐसे ही दिन थे। ईज़ेबेल और अहाब जैसे दुराचारी लोगों के हाथ में राजनैतिक सत्ता थी। ये वे लोग थे जिन्होंने नाबोत जैसे ईमान्दार लोगों पर झूठे मुकद्दमे चलाकर उनकी हत्या करवा दी और उनकी ज़मीन हड़प कर ली (१ राजा २१:-१६)। उनके दिनों में बाल के पुजारी बड़े प्रबल थे। उन्हें पूरा रजनैतिक संरक्षण प्राप्त था। वे यहोवा की वेदियों को ढाते और सच्चे नबियों की हत्या करवा डालते थे (१ राजा १९:१०)। उन दिनों में झूठे नबियों की भी कोई कमी नहीं थी जो यहोवा के नाम से भविष्यवाणी करते थे। ऐसे हालात में ७००० ऐसे सच्चे लोग भी थे जिन्होंने बाल के आगे अर्थात ऐसे विपरीत हालातों के आगे घुटने नहीं टेके थे (१ राजा १९:१८)। एलिय्याह के द्वारा प्रजा का हृदय यहोवा की ओर फिरने लगा था। इन हालात में इजेबेल रानी को राजनैतिक सत्ता हाथ से छिन जाने का डर सताने लगा। उसे एलिय्याह का पत्ता साफ करना था पर वह यह भी जानती थी कि एलिय्याह की सीधी हत्या करवाना अपने विरुद्ध बगावत को आमंत्रण देना था। इजेबेल ने चालाकी से काम लिया और एलिय्याह के पास सिर्फ एक दूत भेजकर उसे कहा के अगले २४ घंटों में मैं तुझे मरवा दूंगी (१ राजा १९:)। अगर वह मरवाना ही चाहती थी तो केवल एक दूत ही क्यों भेजा, हत्यारों का दल भेज देती; और फिर अपने शिकार को चेतावनी क्यों देनी, सीधे वार करती? वह एलिय्याह को मारना नहीं उसे डराकर भगाना चहती थी, और एलिय्याह उसके झांसे में आकर डर कर वहाँ से भाग निकला। अकसर शैतान हमें भी ऐसे ही किसी झांसे में फंसा कर हमसे अपनी मर्ज़ी करवा डालता है।


पुराने नियम के अन्तिम दो पदों और में परमेश्वर कहता है - मैं तुम्हारे पास एलिय्याह को भेजूँगा... (मलाकी ४:) और मैं आकर पृथ्वी को सत्यनाश करूं (मलाकी ४:)पुराने नियम में एलिय्याह यर्दन नदी के पार से जीवित स्वर्ग पर उठा लिया गया (२ राजा २:-११) और यर्दन नदी के तट पर यूँ उसकी पुराने नियम की सेवकाई समाप्त हुई। नये नियम में फिर उसी यर्दन नदी के तट से यूहन्ना के रूप में एलिय्याह की सेवकाई फिर शुरू होती है। आप भी जहाँ पाप में गिर गये, जहाँ हालात से थक गये या जहाँ प्रार्थना, प्रचार या संगति में कमज़ोर पड़ गये हों, बस प्रभु की ओर हाथ फैलाइये और वही प्रभु आपको यह नया साल एक नई विजय के साथ पूरा कराएगा। शैतान यह जानता है कि जब तक प्रभु का ठहराया हुआ समय न आये, वह आपका बाल भी बाँका नहीं कर पायेगा। निराश और हताश एलिय्याह के पास प्रभु ने भोजन भेजा और उसे फिर से उठाकर तैयार किया; एलिय्याह के समान प्रभु आप से भी कहता है उठकर खा, क्योंकि तुझे बहुत भारी यात्रा करनी है (१ राजा १९:-)


बाइबल में कुछ बातों के लिये अवश्य शब्द का प्रयोग किया गया है। यह उन बातों के अनिवार्य या न टल सकने वाला होने को दिखाता है, जिनके संदर्भ में इस अवश्य का प्रयोग हुआ है, जैसे- . नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है (यूहन्ना ३:)। मुझे पिता के घर में रहना अवश्य है (लूका २:४९)। ३. अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूँ (यूहन्ना ३:३०) - प्रभु के घर में छोटा बनने से ही बड़ा बना जाता है; मेरा मैं घटना और प्रभु का हमारे जीवन में बढ़ना अनिवार्य है। छोटा बनकर माफी माँगने से कभी पीछे न हटें। ४. अवश्य है कि उसके भजन (आरधना) करने वाले आत्मा और सच्चाई से उसका भजन(आरधना) करें (यूहन्ना ४:२४)। ५. सुसमाचार सुनाना अवश्य है (१ कुरिन्थियों ९:१६)। इन सब बातों को मैं अवश्य नहीं कह रहा, बाइबल कह रही है, इसलिए आप भी इन बातों को अवश्य ही मान लें।


प्रभु में आपका


सम्पर्क परिवार

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