एक बार फिर सम्पर्क आपके साथ आपके हाथ में है। यह सिर्फ आपकी प्रार्थनाओं का परिणाम है।
कभी तो नौ साल के बच्चे की भी मौत से मुलाकात हो जाती है और कभी ९० साल तक मौत का इंतिज़ार करना पड़ता है। जीवन निश्चित नहीं है पर मौत निश्चित है। संसार अपनी आखिरी सांसों पर टिका है।
दो हज़ार वर्षों से जो मंडलियाँ संसार को यह सण्देश दे रही हैं कि मन फिराओ, क्योंकि परमेश्वर का राज्य निकट है, अब अन्तिम पलों में प्रभु को इन्हीं से कहना पड़ रहा है कि अब तो तुम्हें ही मन फिराने की आवश्यकता आ गयी है। प्रकाशितवाक्य ३:१५ में प्रभु कह रहा है “मैं तेरे कामों को जानता हूँ।” वह मेरे और आपके सब कामों को जानता है। यूहन्ना ५: में प्रभु कहता है कि “मैं तुम्हें जानता हूँ कि तुममें परमेश्वर का प्रेम नहीं।” फिर वह २ कुरिन्थियों ५:१० में कहता है कि यह ज़रूरी है कि मेरे और आपके काम एक दिन सबके सामने खुलेंगे। जी हाँ, उस दिन अगर यह पाप धुले हुए नहीं होंगे, तो फिर ज़रूर सबके सामने खुले हुए होंगे।
किसी ने पूछा कि दुनिया का सबसे बड़ा झूठ क्या है? उत्तर मिला, यह कहना कि “मैं झूठ नहीं बोलता।” प्रभु का वचन कहता है कि “यदि हम कहें कि हममें कुछ भी पाप नहीं ... तो हम परमेश्वर को झूठा ठहराते हैं” (१ यूहन्ना १:८,१०)। प्रकाशितवाक्य २:५ में वह पूछता है “देख तो सही कि तू कहाँ से गिरा है?” फिर वह कहता है कि मैंने तुझे मन फिराने का मौका दिया है ताकि तू सब का सब लौटा ले आये। आने वाली रात में उपयोगी होने वाले दीये को दिन ढलने से पहिले संवार लेने में ही समझदारी है “क्योंकि वह रात आने वाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता” (युहन्ना ९:४)।
जहाँ परमेश्वर के लोगों की आँखें परमेश्वर से हटीं, वहीं उनके जीवन में कोई दुर्घटना घटी। पहिले आदमी की आँखें जैसे ही परमेश्वर के वचन से हटीं वैसे ही संसार की सबसे बड़ी दुर्घटना घटी। परमेश्वर ने उसे अपनी बारी का माली बनाया था ताकि वह उसकि देखभाल करे और उसकी रक्षा करे (उत्पत्ति २:१५)। पर शैतान ने उस माली को मालिक बनने का ख़्वाब दिखाकर (“तू परमेश्वर के तुल्य हो जायेगा” उत्पत्ति ३:५) बहका दिया और परमेश्वर से दूर कर दिया। प्रभु यीशु ने अपने समय में एक ऐसी ही कहानी के द्वारा, जहाँ बारी के कुछ माली मालिक बनने की इच्छा में मालिक के उत्तराधिकारी का कत्ल कर देते हैं, उस समय के धर्मगुरों को उनके अनुचित व्यवहार और उसके परिणाम के बारे में जताया (मत्ती २१:२३-४६)। इस अंतिम युग में भी एक बारी बनायी गयी और उस बारी की ज़िम्मेदारी भी सेवकों को दी गयी। अब वे सेवक अपने आप को मालिक समझने लगे हैं और उन्होंने मालिक को निकाल कर बाहर कर दिया है। पर आज वह मालिक द्वार पर खड़ा खटखटा रहा है, अन्दर आना चाहता है, फिर से उन सेवकों के साथ संगति करना चाहता है - “देख मैं द्वार पर खड़ा खटखटाता हूँ, यदि कोई मेरी आवाज़ सुनकर द्वार खोलेगा तो मैं अन्दर आकर उसके साथ भोजन करूंगा और वह मेरे साथ।” (प्रकाशितवाक्य ३:२०)। उसने आप को और मुझे इस जीवन के लिये माली ठहराया है ताकि हम मालिक के लिये फल लायें (यूहन्ना १५:८, १६)। हमने परमेश्वर की इच्छाओं को अपने जीवन से बाहर कर दिया है ताकि हम अपनी इच्छाएं पूरी कर सकें। पर प्यारा प्रभु अभी भी हम से उम्मीद रखता है, वह द्वार पर खड़ा हुआ आज भी हमारा इंतिज़ार कर रहा है।
जीवन एक मौका है, खोने या पाने का। मैंने भी बहुत बार हारा हुआ जीवन जीया है। मेरे पास कोई उम्मीद ही बाकी नहीं बची थी। पर मेरे साथियों ने मेरी कमज़ोरियों का तमाशा नहीं बनाया। उन्होंने प्रभु के उस बड़े प्रेम में होकर, अपनी प्रार्थनाओं और परमेश्वर के वचन से मुझे फिर उभार लिया। यही आज मैं आप के साथ कर रहा हूँ। परमेश्वर के साथ आपके सम्बंध कैसे हैं? कहीं उससे कोई मनमुटाव तो नहीं चल रहा? यदि ऐसा है तो समय रहते ठीक-ठाक कर लीजीये। इससे पहिले देर हो जाये, जाग जाओ। मेरा फर्ज़ है आवाज़ लगाना। कोई जागता है या नहीं यह मेरे बस की बात नहीं है। ज़िन्दा पाप मन में कभी मरते नहीं हैं, ज़िन्दा पाप हमारी आशीशों को मारते हैं। पाप के इन जीवाणुओं को मार पाना किसी इन्सान या इन्सानी कार्य के बस में नहीं, इन्हें तो मसीह की मौत ही मार सकती है और मारती है-उनके अन्दर से जो मसीह की मौत को अपने अनन्त जीवन का मार्ग बना लेते हैं।
अब प्रभु की दया की दुहाई देने का वक्त है, अभी प्रभु की क्षमा आपके लिये उपलब्ध है। केवल एक सच्चे मन से की गई एक प्रार्थना - “हे यीशु, मेरे पाप क्षमा कर; मुझे सुधार दे, मुझे एक बार फिर उभार दे” न सिर्फ आपके वर्तमान को, वरन आपके अनन्त को भी बदलने की क्षमता रखती है।
आपकी प्रार्थनाओं और आपके सहयोग से सम्पर्क यहाँ तक आ पाया है। आपका इतना प्यार, इतने पत्र, फोन और सुझाव मुझे हिम्मत देते आये हैं, विनती है कि इस प्रेम और सम्पर्क को ऐसे ही बनाये रखिये। आपकी प्रार्थनाएं और प्रभु का आसरा सम्पर्क को उसके साहिल तक पहुंचाएगा।
प्रभु में आपका,
“सम्पर्क परिवार”
कभी तो नौ साल के बच्चे की भी मौत से मुलाकात हो जाती है और कभी ९० साल तक मौत का इंतिज़ार करना पड़ता है। जीवन निश्चित नहीं है पर मौत निश्चित है। संसार अपनी आखिरी सांसों पर टिका है।
दो हज़ार वर्षों से जो मंडलियाँ संसार को यह सण्देश दे रही हैं कि मन फिराओ, क्योंकि परमेश्वर का राज्य निकट है, अब अन्तिम पलों में प्रभु को इन्हीं से कहना पड़ रहा है कि अब तो तुम्हें ही मन फिराने की आवश्यकता आ गयी है। प्रकाशितवाक्य ३:१५ में प्रभु कह रहा है “मैं तेरे कामों को जानता हूँ।” वह मेरे और आपके सब कामों को जानता है। यूहन्ना ५: में प्रभु कहता है कि “मैं तुम्हें जानता हूँ कि तुममें परमेश्वर का प्रेम नहीं।” फिर वह २ कुरिन्थियों ५:१० में कहता है कि यह ज़रूरी है कि मेरे और आपके काम एक दिन सबके सामने खुलेंगे। जी हाँ, उस दिन अगर यह पाप धुले हुए नहीं होंगे, तो फिर ज़रूर सबके सामने खुले हुए होंगे।
किसी ने पूछा कि दुनिया का सबसे बड़ा झूठ क्या है? उत्तर मिला, यह कहना कि “मैं झूठ नहीं बोलता।” प्रभु का वचन कहता है कि “यदि हम कहें कि हममें कुछ भी पाप नहीं ... तो हम परमेश्वर को झूठा ठहराते हैं” (१ यूहन्ना १:८,१०)। प्रकाशितवाक्य २:५ में वह पूछता है “देख तो सही कि तू कहाँ से गिरा है?” फिर वह कहता है कि मैंने तुझे मन फिराने का मौका दिया है ताकि तू सब का सब लौटा ले आये। आने वाली रात में उपयोगी होने वाले दीये को दिन ढलने से पहिले संवार लेने में ही समझदारी है “क्योंकि वह रात आने वाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता” (युहन्ना ९:४)।
जहाँ परमेश्वर के लोगों की आँखें परमेश्वर से हटीं, वहीं उनके जीवन में कोई दुर्घटना घटी। पहिले आदमी की आँखें जैसे ही परमेश्वर के वचन से हटीं वैसे ही संसार की सबसे बड़ी दुर्घटना घटी। परमेश्वर ने उसे अपनी बारी का माली बनाया था ताकि वह उसकि देखभाल करे और उसकी रक्षा करे (उत्पत्ति २:१५)। पर शैतान ने उस माली को मालिक बनने का ख़्वाब दिखाकर (“तू परमेश्वर के तुल्य हो जायेगा” उत्पत्ति ३:५) बहका दिया और परमेश्वर से दूर कर दिया। प्रभु यीशु ने अपने समय में एक ऐसी ही कहानी के द्वारा, जहाँ बारी के कुछ माली मालिक बनने की इच्छा में मालिक के उत्तराधिकारी का कत्ल कर देते हैं, उस समय के धर्मगुरों को उनके अनुचित व्यवहार और उसके परिणाम के बारे में जताया (मत्ती २१:२३-४६)। इस अंतिम युग में भी एक बारी बनायी गयी और उस बारी की ज़िम्मेदारी भी सेवकों को दी गयी। अब वे सेवक अपने आप को मालिक समझने लगे हैं और उन्होंने मालिक को निकाल कर बाहर कर दिया है। पर आज वह मालिक द्वार पर खड़ा खटखटा रहा है, अन्दर आना चाहता है, फिर से उन सेवकों के साथ संगति करना चाहता है - “देख मैं द्वार पर खड़ा खटखटाता हूँ, यदि कोई मेरी आवाज़ सुनकर द्वार खोलेगा तो मैं अन्दर आकर उसके साथ भोजन करूंगा और वह मेरे साथ।” (प्रकाशितवाक्य ३:२०)। उसने आप को और मुझे इस जीवन के लिये माली ठहराया है ताकि हम मालिक के लिये फल लायें (यूहन्ना १५:८, १६)। हमने परमेश्वर की इच्छाओं को अपने जीवन से बाहर कर दिया है ताकि हम अपनी इच्छाएं पूरी कर सकें। पर प्यारा प्रभु अभी भी हम से उम्मीद रखता है, वह द्वार पर खड़ा हुआ आज भी हमारा इंतिज़ार कर रहा है।
जीवन एक मौका है, खोने या पाने का। मैंने भी बहुत बार हारा हुआ जीवन जीया है। मेरे पास कोई उम्मीद ही बाकी नहीं बची थी। पर मेरे साथियों ने मेरी कमज़ोरियों का तमाशा नहीं बनाया। उन्होंने प्रभु के उस बड़े प्रेम में होकर, अपनी प्रार्थनाओं और परमेश्वर के वचन से मुझे फिर उभार लिया। यही आज मैं आप के साथ कर रहा हूँ। परमेश्वर के साथ आपके सम्बंध कैसे हैं? कहीं उससे कोई मनमुटाव तो नहीं चल रहा? यदि ऐसा है तो समय रहते ठीक-ठाक कर लीजीये। इससे पहिले देर हो जाये, जाग जाओ। मेरा फर्ज़ है आवाज़ लगाना। कोई जागता है या नहीं यह मेरे बस की बात नहीं है। ज़िन्दा पाप मन में कभी मरते नहीं हैं, ज़िन्दा पाप हमारी आशीशों को मारते हैं। पाप के इन जीवाणुओं को मार पाना किसी इन्सान या इन्सानी कार्य के बस में नहीं, इन्हें तो मसीह की मौत ही मार सकती है और मारती है-उनके अन्दर से जो मसीह की मौत को अपने अनन्त जीवन का मार्ग बना लेते हैं।
अब प्रभु की दया की दुहाई देने का वक्त है, अभी प्रभु की क्षमा आपके लिये उपलब्ध है। केवल एक सच्चे मन से की गई एक प्रार्थना - “हे यीशु, मेरे पाप क्षमा कर; मुझे सुधार दे, मुझे एक बार फिर उभार दे” न सिर्फ आपके वर्तमान को, वरन आपके अनन्त को भी बदलने की क्षमता रखती है।
आपकी प्रार्थनाओं और आपके सहयोग से सम्पर्क यहाँ तक आ पाया है। आपका इतना प्यार, इतने पत्र, फोन और सुझाव मुझे हिम्मत देते आये हैं, विनती है कि इस प्रेम और सम्पर्क को ऐसे ही बनाये रखिये। आपकी प्रार्थनाएं और प्रभु का आसरा सम्पर्क को उसके साहिल तक पहुंचाएगा।
प्रभु में आपका,
“सम्पर्क परिवार”
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