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शुक्रवार, 1 मई 2020

पवित्र आत्मा का बपतिस्मा - भाग 1 - प्रेरितों 11:15-18



पवित्र आत्मा का बपतिस्मा क्या है?
भाग 1 - प्रेरितों 11:15-18

      पवित्र आत्मा प्राप्त करने से संबंधित एक अन्य गलत शिक्षा है कि प्रभु के लिए उपयोगी होने के लिए पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाना भी आवश्यक है, जिसके लिए कहा जाता कि यह पवित्र आत्मा पा लेने से भिन्न अनुभव है। एक बार फिर, यह धारणा रखना भी बाइबल के एक वाक्यांश को उसके सन्दर्भ से बाहर निकाल कर, और बिना बाइबल की अन्य संबंधित शिक्षाओं का ध्यान किए, एक पूर्वनिर्धारित धारणा को सही ठहराने का प्रयास है, जिसका बाइबल में कोई आधार या समर्थन नहीं है। पतरस की सेवकाई द्वारा कुरनेलियुस के परिवार के मसीही विश्वास में आने और पवित्र आत्मा पाने, और फिर इसके बाद पतरस द्वारा इस बात के विषय मसीही मण्डली के अन्य अगुवों और लोगों को इसका स्पष्टीकरण दिए जाने के एक भाग, प्रेरितों 11:15-18, को देखिए: “जब मैं बातें करने लगा, तो पवित्र आत्मा उन पर उसी रीति से उतरा, जिस रीति से आरम्भ में हम पर उतरा था। तब मुझे प्रभु का वह वचन स्मरण आया; जो उसने कहा; कि यूहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया, परन्तु तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे। सो जब कि परमेश्वर ने उन्हें भी वही दान दिया, जो हमें प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने से मिला था; तो मैं कौन था जो परमेश्वर को रोक सकता यह सुनकर, वे चुप रहे, और परमेश्वर की बड़ाई कर के कहने लगे, तब तो परमेश्वर ने अन्य-जातियों को भी जीवन के लिये मन फिराव का दान दिया है।” पतरस की इस बात से यह बिलकुल दो-टूक स्पष्ट है कि उन अन्य-जाति लोगों के मसीही विश्वास में आते के साथ ही जो पवित्र आत्मा उन्हें दिया गया, वही प्रभु यीशु द्वारा कही गई पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाने की बात की पूर्ति और पुष्टि है। 

      पतरस द्वारा दिए गए उत्तर से यह भी स्पष्ट है कि यह केवल प्रभु द्वारा कही गई बात का पूरा होना बताया गया है, न कि कोई रीति या सिद्धांत स्थापित किया गया है जिसका पालन शेष लोगों ने आगे चल कर करना था – वह न तो कहता है और न ही कोई ऐसा अभिप्राय देता है कि अन्य मसीही विश्वासियों को भी यह ‘पवित्र आत्मा का बपतिस्मा’ लेना होगा – यह तो एक स्वतः ही, अपने आप में पूरी हुई बात को बताना था, न कि किसी रीति की स्थापना करना। साथ ही यहाँ पर एक अन्य महत्वपूर्ण बात पर ध्यान करना आवश्यक है कि न तो यहाँ और न ही नए नियम में अन्य किसी भी स्थान पर ऐसी कोई बात नहीं कही गई है कि ‘पवित्र आत्मा का बपतिस्मा’ पाए हुए वे कुरनेलियुस के परिवार के मसीही विश्वास में आने वाले लोग इस ‘बपतिस्मे’ के प्रभाव में प्रभु के लिए कुछ विशेष और अद्भुत करने लगे। कुछ विशेष और अद्भुत करना तो दूर की बात है, कहीं पर भी उन के किसी भी मसीही मंडली में किसी भी प्रकार से सक्रीय होने या किसी ‘साधारण’ सेवकाई में भी संलग्न होने की भी कोई बात नहीं आई है। अर्थात, न तो ‘पवित्र आत्मा का बपतिस्मा’ कोई तथाकथित अलग अनुभव या प्रभु का विशेष कार्य है, और न ही उस ‘बपतिस्मे’ के द्वारा कोई भी जन कुछ विशेष करने की सामर्थ्य पाता है। 

     जैसा कि प्रायः कहा और सिखाया जाता है उस के विपरीत, यथार्त में बाइबल के अनुसार इसमें कोई असमंजस की बात नहीं है; मसीही विश्वास में वास्तव में आते ही पवित्र आत्मा को प्राप्त कर लेना और पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाना एक ही बात हैं, ये दोनों वाक्यांश एक ही तथ्य को व्यक्त करने के दो तरीके हैं। इसलिए इनके आधार पर लोगों को भरमाने के लिए कुछ सिद्धांत और धारणाएं बनाना और सिखाना जो परमेश्वर के वचन के बिलकुल अनुरूप नहीं है, गलत है, अस्वीकार्य है; यह परमेश्वर और उस के वचन के नाम में झूठ बोलना और सिखाना है।
- क्रमशः
अगला लेख: पवित्र आत्मा का बप्तिस्मा – भाग 2 – 1 कुरिन्थियों 12:13

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