पवित्र आत्मा का बपतिस्मा क्या है? -
भाग 2
1 कुरिन्थियों 12:13 (भाग 4)
इस पद 1 कुरिन्थियों 12:13 को फिर से देखिए – यहाँ प्रयोग
किया गया वाक्यांश है ‘हम सब ने...बपतिस्मा लिया’ – भूतकाल; पूरा किया गया,
कर लिया गया कार्य। यहाँ प्रयुक्त ‘हम’ का अभिप्राय पौलुस और सोस्थिनेस (1
कुरिन्थियों 1:1), तथा पौलुस के अन्य सेवकाई में सहायक साथियों से, तथा सभी
यहूदीयों, अन्यजातियों, यूनानियों, स्वतंत्र अथवा दासों से है। सभी को एक साथ मसीह
की एक ही देह में डुबो या समो दिया गया। अब, क्या सम्पूर्ण नए नियम में, कहीं पर
भी ऐसा लिखा गया है कि पौलुस या सेवकाई के उस के साथियों में से किसी ने भी कोई
अलग से पवित्र आत्मा का बप्तिस्मा लिया था; या ऐसा बपतिस्मा लेने के बाद उन्हें
सामर्थ्य प्राप्त हुई और तब वे अपनी उस संसार को उल्ट-पुलट कर देने वाली सेवकाई
(प्रेरितों 17:6) पर निकले? दमिश्क के मार्ग पर जाते हुए
पौलुस के उद्धार पाने और बदल जाने के बाद बपतिस्मा लेने की घटना भली-भांति दर्ज की
गई है (प्रेरितों 9:18) ;
साथ ही यह भी लिखा गया है कि, “
और वह तुरन्त आराधनालयों में यीशु का प्रचार करने लगा, कि वह परमेश्वर का पुत्र है” (प्रेरितों 9:20) । उस ने यह इतनी लगन और
प्रबलता के साथ किया कि लोग चकित रह गए (प्रेरितों 9:21), और
इस के बाद से पौलुस और भी अधिक सामर्थी होता चला गया, तथा यहूदियों के मुंह बंद
करता चला गया (प्रेरितों 9:22)। क्योंकि कोई उस के सामने खड़ा नहीं रह सकता था, इस लिए अंततः यहूदियों ने उसे मार डालने की योजना बनाना आरम्भ कर दिया (प्रेरितों 9:23)। पौलुस का यह सेवकाई आरम्भ करना क्या इस बात को बिलकुल स्पष्ट नहीं दिखा देता है कि प्रभु के लिए उपयोगी एवं प्रभावी होने के लिए पवित्र आत्मा के किसी बपतिस्मे की कोई आवश्यकता नहीं है?
अपने मुख्य पद 1 कुरिन्थियों 12:13 पर वापस लौटते हैं, यद्यपि यहाँ
पर यह तो लिखा है कि “हम सब ने...एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये
बपतिस्मा लिया...”, किन्तु यहाँ पर यह कहीं नहीं लिखा है कि इस पद में जिनका
उल्लेख है उनमें से किसी ने भी, कभी भी ऐसा किए जाने के लिए कहा, या प्रतीक्षा की,
या प्रार्थना की। यह पवित्र आत्मा के द्वारा स्वयं ही किया गया था – उन सभी को
अपने में ढांप लिया और सब को मसीही विश्वासियों में मिलाकर एक देह कर दिया। साथ
ही, यहाँ पर ऐसा कुछ नहीं लिखा गया है कि उन में से कुछ को उन के लिए यह करने के
योग्य पाया गया, किन्तु कुछ औरों को छोड़ दिया गया क्योंकि वे इस के योग्य नहीं पाए
गए। और न ही कहीं यह लिखा है, या ऐसा संकेत भी किया गया है कि, कोरिन्थ की मंडली,
या किसी भी अन्य मसीही विश्वासियों की मंडली में यदि कभी भी कोई नया सदस्य आएगा,
तो फिर उन्हें भी यह पवित्र आत्मा का बपतिस्मा लेना होगा यदि वे प्रभु की सेवा
करना चाहते हैं, प्रभु के लिए प्रभावी होना चाहते हैं। ऐसे सभी विचारों को इस पद
के आधार पर बताना और सिखाना बचकाना है, काल्पनिक है। इस पद से ऐसी कोई भी शिक्षा न
तो बनाई जा सकती है, और न ही सही ठहराई जा सकती है।
यह पद एक उत्तम
उदाहरण है बाइबल के केवल कुछ चुने हुए शब्दों या वाक्यांशों को लेकर, उन्हें
तोड़-मरोड़ कर झूठे सिद्धांतों और शिक्षाओं को बनाने और बढ़ावा देने का (ऐसा ही अन्य
उदाहरण 1 कुरिन्थियों
14 में भी है, परन्तु उसे हम फिर कभी, जब प्रभु की इच्छा और
मार्गदर्शन होगा, तब देखेंगे)। पवित्र आत्मा का बपतिस्मा लेने के सिद्धांत का पालन
करने वाले इस पद का बहुत बल के साथ प्रयोग करते हैं, इस के आधार पर अपनी बात को
सही ठहराने के दावे करते हैं, क्योंकि इस पद में लिखा है, “क्योंकि हम सब ने
क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या
दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के
लिये बपतिस्मा लिया...।” परन्तु पद के इस पहले भाग के
बाद वे बड़ी आसानी से इस पद के अंत में कही गई बात, “...और हम सब को एक ही आत्मा
पिलाया गया” को बताना, या उस पर भी कार्य करना, कहना भूल जाते हैं, छोड़ देते
हैं।
क्या आज तक कभी किसी को भी यह कहते या जोर देते सुना है
कि ‘पवित्र आत्मा को पीना भी आवश्यक है?’ क्या ‘बपतिस्मा लिया’ और ‘पिलाया गया’ एक
ही वाक्य के भाग नहीं हैं? यदि वाक्य का पहला भाग इतना आवश्यक और महत्वपूर्ण है कि
उस पर सिद्धांत ही बना कर खड़ा कर दिया गया है और उसे बल दे कर सिखाया जाता है, तो
फिर वाक्य के दूसरे भाग की पूर्णतः अवहेलना क्यों की जाती है? यदि यह कहा जाए की
वाक्य का दूसरा भाग बात कहने के लिए अलंकारिक भाषा का प्रयोग है, तो फिर यही बात
वाक्य के पहले भाग पर क्यों लागू नहीं होती है? क्यों नहीं यह स्वीकार कर के कि इस
पूरे वाक्य में बात कहने के लिए अलंकारिक भाषा का प्रयोग किया गया है, इस समस्त
गढ़े गए झूठे सिद्धांत और शिक्षा, बाइबल की बातों की गलत व्याख्या और गलत प्रयोग के
झूठ का अंत कर दिया जाए? सीधी और स्पष्ट बात है कि इन दो अलंकारिक वाक्यांशों के
प्रयोग के द्वारा यह बताया गया है कि मसीह की देह के प्रत्येक सदस्य को पवित्र आत्मा
द्वारा पूर्णतः घेरे में ले लिया गया है – अन्दर से भी और बाहर से भी – और हर
सदस्य इस प्रकार से पवित्र आत्मा में पूर्णतः सुरक्षित और ढांपा हुआ है।
स्पष्ट और सीधी
बात है कि इस पद में किसी पवित्र आत्मा के बपतिस्मे के द्वारा प्रभु के लिए उपयोगी
होने की कोई शिक्षा नहीं है। ऐसी गलत शिक्षाओं को इस में घुसाना परमेश्वर के वचन
को बिगाड़ना है, और लोगों को बहका कर उन्हें एक व्यर्थ और निष्फल प्रयास में समय
बर्बाद करने में लगाना है।
- क्रमशः
अगला लेख: पवित्र आत्मा का बप्तिस्मा – भाग 3 – कितने बपतिस्मे; निहितार्थ
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