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रविवार, 26 अप्रैल 2009

सम्पर्क दिसंबर २००६: ऐसा प्यार, जिसने ऐसे-ऐसे पापों को ढाँप दिया


बेटा अपना सब कुछ लुटाकर, हर एक बुराई से और हर पाप की गन्दगी से भरा हुआ बाप के घर लौटा। वह जितना कुछ बुरा कर सकता था, उसने सब किया। लेकिन लौटते में उसने उन सब बुराइयों के लिए पश्चाताप भी किया। बाप के सन्मुख आने पर, पश्चाताप की प्रार्थना, उसके मन से होंठों तक भी नहीं पहुँच पायी थी कि बाप ने उसे सीने से लगाकर उन होंठों को चूम लिया। यह वही होंठ थे जो वैश्याओं को चूमते थे। अगर इस कहानी में, सीने से लगाने की बजाए, वह बाप उस बेटे को दो लात लगाता, और कहता कि, ‘अब यहाँ क्या लेने आया है, जा उन्हीं वैश्याओं के पास’ तो मुझे ज़रा भी आश्चर्य नहीं होता; बल्कि मेरा मत होता कि बाप ने बिलकुल ठीक किया। ऐसों के साथ ऐसा ही होना चाहिए, वह इसी लायक है। उसे बचपन से ही यह बताया-सिखाया गया था कि यह सब बातें पाप हैं, परन्तु आदमी का स्वभाव है कि जिस काम को मना करो, वही करने को वह उतावला हो जाता है।

एक कहानी है जो जीवन की एक छिपी हुई सच्चाई हमारे सामने लाती है। एक छोटा गलियारा था, हज़ारों लोग एक सड़क से दूसरी सड़क तक पहुँचने के लिए उस गलियारे का उपयोग करते थे। गलियारे के दोनों तरफ सालों से बन्द पड़े पुराने घरों के पिछवाड़े की कई खिड़कियां खुलती थीं। एक दिन किसी मसख़रे ने, मज़ा लेने के लिए, कुछ खिड़कियों पर कागज़ चिपकाए, जिन पर लिखा था, “कृपया इधर मत झांकें।” फिर क्या था, पहले कभी कोई जिन घरों की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखता था, अब उन्ही घरों में झांकने का प्रयास किए बिना शायद ही कोई वह गलियारा पार करता था। आदमी को जो कुछ मना करो, वही करने में उसे मज़ा आता है। हव्वा को मना किया कि इस फल को मत खाना; बस वहीं से बेचैनी शुरू हो गयी कि उसे वह फल क्यों खाने नहीं दिया गया?

उस उड़ाऊ बेटे को जो कुछ मना किया गया, वही करने में उसने मज़ा लिया। वह अपने सीने में कितने ही गन्दे और शर्मनाक अरमान छुपाए रखता था। वासना ने उसे ऐसा अंधा कर दिया था कि उसे भले और बुरे का फर्क भी नहीं दिखता था। किंतु जब वह पाप कर रहा था, तब भी बाप का प्यार उसका पीछा कर रहा था। यह कहानी मुझे अपने बारे में सोचने पर मजबूर करती है। यह मेरे और आपके जीवन के छिपे हुए काले कारनामों की याद दिलाती है, जो दुनिया से छिपे हो सकते हैं, परमेश्वर से नहीं।

मैंने एक कहानी पढ़ी थी। कहानी तो कुछ खास नहीं थी पर जो बात उस कहानी ने सिखाई, वह बहुत खास थी। एक गुरू के चार चेले थे। गुरू को उन चेलों की आखिरी परीक्षा लेनी थी। गुरू ने चारों चेलों के हाथों में एक-एक कबूतर थमाया, और कहा, “इनको वहाँ मारना जहाँ कोई देख न रहा हो।” वे चेले कबूतरों को लेकर चले गये और शाम ढलने तक तीन चेले मरे हुए कबूतरों के साथ लौट भी आये। लेकिन चौथा चेला कई दिन के बाद थका-हारा और निराश, अपने हाथ में ज़िन्दा कबूतर लिये हुए लौटा, और अपने गुरू से कहा “मैं हार गया। जब मैं इसे एकाँत में मारने को तैयार हुआ, तो देखा कि यह स्वयं मुझे देख रहा है। आपने कहा था कि इसे वहाँ मारना जहाँ कोई न देख रहा हो। तब सोचा कि इस कबूतर की आँखें किसी कपड़े से ढाँप कर इसकी गर्दन मरोड़ दूँ। जैसे ही ऐसा करने लगा, तो ध्यान आया कि अभी मैं स्वयं इसे देख रहा हूँ। फिर सोचा कि अपनी भी आँखें बन्द करके इसकी गर्दन मरोड़ दूँ, तो ध्यान आया कि परमेश्वर मुझे देख रहा है। बस, तब से मैं ऐसी जगह ढूंढ रहा हूँ जहाँ परमेश्वर न देख रहा हो, पर मैं हार गया। मुझे ऐसी कोई जगह नहीं मिली जहाँ कोई देख न रहा हो; हर जगह यदि और कोई नहीं तो परमेश्वर तो देख ही रहा होता है!” सच मानिए आपके जीवन में कोई ऐसी जगह नहीं है जिसे परमेश्वर ने न देखा हो। शायद हम सोचते भी नहीं कि मेरी और आपकी हर एक बात उसके सामने खुली है “...उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं” (इब्रानियों ४:१३)।

हम बहुत दबाव में जीते हैं। शाम को वही कर जाते हैं जिसके लिए सुबह पश्चाताप किया था। शैतान बहुत सामर्थी है और संसार बहुत आकर्शक है। कमज़ोर शरीर, संसार और शैतान का सामना नहीं कर पाता। संसार को ‘माया’ अर्थात धोखा देने वाला कहा गया है। लगता है जैसे सब कुछ इसी में है, अगर इसे पा लिया, तो सब कुछ पा लिया। पर सच्चाई तो यह है कि इसे पाकर सब कुछ खो जाता है, चैन चला जाता है, खुशियाँ धुंधला जाती हैं।

शैतान हमें यह एहसास दिलाने के प्रयास में रहता है कि तू परमेश्वर के लायक नहीं है, तू क्षमा के लायक नहीं है। वह हमेशा हमारे अन्दर प्रभु की क्षमा पर शक पैदा करता है। पर प्रभु की क्षमा हमारे सोचने और समझने से कहीं बढ़कर है। यह बात सच है कि मुझे अपने उपर कतई भरोसा नहीं है। अगर भरोसा है तो प्रभु की क्षमा पर, उसके प्यार पर; जिसने मुझ से कहा “मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा और कभी नहीं त्यागूँगा” (ईब्रानियों १३:५)। आपको मालूम है प्रभु मुझ जैसे आदमी को क्यूँ माफ कर देता है? क्योंकि वह मुझ से प्रेम करता है “...परन्तु प्रेम से सब अपराध ढंप जाते हैं” (नीतिवचन १०:१२)। उसने मुझ से ऐसा प्रेम किया, इसलिए उसने क्षमा की मेरी एक प्रार्थना के उत्तर में, मेरे ऐसे-ऐसे पापों को भी ढांप दिया।

प्रभु की क्षमा जो इन्सान की सारी समझ से बाहर है, वह आज भी मेरे और आपके लिए वैसी ही है। बस इतना हो कि मैं और आप फिर क्षमा मांगने को तैयार हों। प्रभु ने नीतिवचन २४:१६ में हमारे लिए एक बड़ी धन्य आशा रखी है - “धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है।” इस बात को कहीं किसी ने यूँ भी कहा है, और लगता है जैसे मेरे बारे में ही कहा है - ‘गिर पड़े, गिर कर उठे, उठकर चले; कुछ इस तरह तय की हैं मंज़िलें हमने’|

जब से यह सम्पर्क आपके हाथ में है, तब से परमेश्वर की आँख आप पर लगी है। कहीं परमेश्वर आपको आपके जीवन की छिपी हुई काली कहानी तो नहीं सुना रहा? परमेश्वर यह सब आपको दोष देने के लिए नहीं, पर क्षमा करने के लिए समझा रहा है। वह एक नया मौका इस नये साल के साथ आपके पास ला रहा है। अब उसकी क्षमा और उसके प्रेम पर विश्वास कर, पश्चाताप और समर्पण के साथ उसके पास आना, और उससे पापों कि क्षमा तथा नये जीवन का अनुभव लेना आपके हाथ में है।

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